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दिल्ली में आखिर क्यों बढ़ जाता है स्मॉग? वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, जानकर हो जाएंगे हैरान

दिल्ली में स्मॉग का खतरा क्यों होता है, इसकी वजह पता चल गई है। वैज्ञानिकों ने जो वजह बताई है उसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे।

Edited By: Kajal Kumari
Published on: March 14, 2023 20:28 IST
delhi smog cause- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली में स्मॉग की वजह पता चल गई

दिल्ली: पिछले तीन साल से नयी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी में शुमार रही है। दिल्ली में उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में समय पूर्व ही लोगों की मौत हो रही है। वैज्ञानिकों ने सर्दियों के दौरान रात में 'स्मॉग' क्यों बनता है इसका पता लगा लिया है। सर्दियों में वायुमंडल में ठोस या तरल पदार्थ के छोटे कणों का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर के पार चला जाता है। इसे लेकर स्विट्जरलैंड में पॉल शेरर इंस्टीट्यूट (पीएसआई) के रिसर्चर्स के साथ ही आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों और सहकर्मियों के एक दल ने सर्दियों में नयी दिल्ली में रात के समय इन अत्यधिक छोटे-छोटे कणों (पार्टिकुलेट मैटर) के उच्च स्तर की उत्पत्ति की जांच की है।

सामने आई स्मॉग बनने की वजह

वैज्ञानिक इमाम अल-हद्दाद ने कहा, ‘‘रात के समय हवा में होने वाली रसायन प्रक्रिया दिल्ली में विशिष्ट है और दुनिया में ऐसा कहीं भी नहीं देखा गया है।’’ पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित अध्ययन में यह पाया गया है कि पार्टिकुलेट मैटर के उच्च स्तर का कारण लकड़ी के जलने पर उठने वाला धुआं है। हिंद-गांगेय मैदानी हिस्से में रह रहे करीब 40 करोड़ लोगों के लिए लकड़ी जलाना आम प्रक्रिया है जो भोजन पकाने तथा तापने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि सख्त नियमों के अभाव में लकड़ी के अलावा अन्य सामग्रियां भी ठंड से बचने के लिए जलायी जाती हैं, जिसमें कई प्लास्टिक और अन्य ठोस सामग्रियां भी शामिल होती हैं। इस तरह की आग से ऐसी गैस निकलती हैं जिनमें असंख्य रासायनिक तत्व जैसे कि क्रिसोल होते हैं जिससे हमें आग जलाने पर एक खास तरह की गंध महसूस होती है। साथ ही लकड़ी में जले सेलुलोज से चीनी जैसे अणु भी निकलते हैं।

चीन में वायु ्प्रदूषण का सबसे ज्यादा होता है रिसर्च

वैज्ञानिकों का कहना है कि इन अणुओं को हवा में नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि जैसे ही नयी दिल्ली में तापमान गिरता है तो वह इतनी तेजी से गिरता है कि गैस के कुछ अणु संघटित हो जाते हैं और कुछ ही घंटे में वे 200 नैनोमीटर तक के अणु के रूप में एकत्रित हो जाते हैं जिसे 'ग्रे' रंग की धुंध के रूप में देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह प्रक्रिया अन्य स्थानों के मुकाबले बहुत अलग है। उदाहरण के लिए बीजिंग संभवत: वायु प्रदूषण के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा अध्ययन किया जाने वाला महानगर है। हालांकि, चीन की राजधानी के वायुमंडल में अणु बनने की अलग रासायनिक प्रक्रिया है।

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