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दिल्ली-नोएडा के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, मेल मिलने के बाद मचा हड़कंप, ऑनलाइन होंगी क्लास

डीपीएस से पहले भी दिल्ली के कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है। एक मामले में प्राइवेट स्कूल के छात्र ने ही मेल किया था। हालांकि, अन्य मामलों में वीपीएन के कारण पुलिस को मेल भेजने वाले का पता लगाने में परेशानी हो रही है।

Reported By : Abhay Parashar Edited By : Shakti Singh Published : Dec 20, 2024 7:51 IST, Updated : Dec 20, 2024 11:48 IST
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Image Source : DPS DWARKA प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली के डीपीएस स्कूल और नोएडा के लोटस वैली स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 में बने डीपीएस स्कूल को धमकी भरा मेल देर रात भेजा गया था। स्कूल की तरफ से पीसीआर पर दिल्ली दमकल विभाग को सूचना दी गई। डीपीएस स्कूल में सर्च ऑपरेशन के दौरान जांच टीम को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। स्कूल की तरफ से छात्रों के माता-पिता को बताया गया कि बच्चों को स्कूल न भेजें। आज सभी कक्षाओं का संचालन ऑनलाइन मोड में होगा। वहीं, नोएडा के सेक्टर 126 में लोटस वैली स्कूल को धमकी भरा मेल आया। मेल मिलते ही स्कूल प्रबंधक ने बच्चों को वापस भेज दिया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

यह पहला मामला नहीं है, जब दिल्ली के किसी स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। पिछले कुछ महीनों से लगातार स्कूलों, अस्पतालों और एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की झूठी धमकियां मिल रही हैं। पुलिस ने एक प्राइवेट स्कूल के छात्र को इस मामले में पकड़ा था, जिसने अपने स्कूल को बम से उड़ाने का मेल किया था। हालांकि, काउंसलिंग के बाद पुलिस ने बच्चे को छोड़ दिया था। उसके माता-पिता ने यह आश्वासन दिया था कि बच्चा दोबारा ऐसा नहीं करेगा।

वीपीएन बन रहा बाधा

दिल्ली में पिछले नौ दिनों में 100 से अधिक स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकियां मिल चुकी हैं। इन धमकियों के कारण अव्यवस्था का माहौल है, लेकिन अब तक पुलिस फर्जी धमकी देने वाले लोगों तक नहीं पहुंच सकी है। पुलिस और विशेषज्ञों का कहना है कि ‘वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क’ (वीपीएन) और ‘प्रॉक्सी सर्वर’ इस समस्या से निपटने में मुख्य बाधा है। इसके अलावा इन सेवाओं से जानकारी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधान नहीं हैं। इस साल मई से ईमेल के जरिए मिली 50 से अधिक बम धमकियों में दिल्ली के स्कूलों, अस्पतालों, हवाई अड्डों और एयरलाइंस को भी निशाना बनाया गया, लेकिन पुलिस को इन मामलों में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।

केजरीवाल ने भी जताई चिंता

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बुधवार को स्कूलों को मिली बम की धमकियों पर चिंता जताई थी और अपराधी को पकड़ने में पुलिस की विफलता पर सवाल उठाए थे। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने धमकी देने वालों के आईपी एड्रेस हासिल करने के लिए गूगल, वीके (जिसे ‘मेलडॉटआरयू’ के नाम से जाना जाता है) और ‘आउटलुकडॉटकॉम’ जैसे सेवा प्रदाताओं को पत्र लिखा है। कुछ मामलों में, पुलिस को जवाब मिले हैं लेकिन वे सटीक स्रोत का पता नहीं लगा पाए हैं। दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से इंटरपोल की सहायता भी मांगी है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी जांच जारी है। हम धमकी भेजने वाले के स्रोत का पता लगाने पर काम कर रहे हैं। हालांकि, उनके सर्वर या डोमेन यूरोपीय या मध्य पूर्वी देशों में पाए गए हैं, लेकिन वास्तविक स्रोत की पुष्टि नहीं हुई है, क्योंकि ‘वीपीएन’ या ‘प्रॉक्सी सर्वर’ का उपयोग करके ईमेल भेजे गए थे।’’

वीपीएन को लेकर उचित कानून की कमी

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की एक इकाई को बम धमकी के मामलों की जांच का काम सौंपा गया है। पिछले नौ दिनों में दिल्ली के कई स्कूलों को ईमेल जरिए बम से उड़ाने की धमकियां मिलीं, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने तलाश अभियान भी चलाया। अधिकारी ने कहा, ‘‘हालांकि अब तक किसी भी धमकी के बाद ली गई तलाशी में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है, लेकिन हम किसी भी धमकी को हल्के में नहीं ले सकते। प्रत्येक संदेश को गंभीरता से लिया गया और सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गहन जांच की गई।’’ अधिकारी ने आगे बताया कि वीपीएन नेटवर्क इंटरनेट पर एक वेब की तरह काम करते हैं, जहां मूल स्रोत सीधे अपने सर्वर से जुड़ा नहीं होता है। साइबर कानून विशेषज्ञ एवं उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. पवन दुग्गल ने कहा कि समस्या यह है कि भारत में वीपीएन के उपयोग को विनियमित करने के लिए कोई समर्पित कानून नहीं है। दुग्गल ने कहा, ‘‘हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा एक और 75 में देश से बाहर जांच करने का अधिकार है, लेकिन हकीकत यह है कि विदेश से संचालित वीपीएन सेवा प्रदाताओं के खिलाफ इस अधिकार का इस्तेमाल भारत नहीं कर सकता।’’ 

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