Sunday, December 22, 2024
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दिल्ली दंगे मामले में अदालत ने गलत चार्जशीट पर पुलिस को लगाई फटकार, तीन लोग हुए आरोपमुक्त

दिल्ली में हुए दंगे मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मामले की सही तरीके से जांच नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। साथ ही अदालत ने मामले में तीन आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Aug 18, 2023 23:23 IST, Updated : Aug 18, 2023 23:23 IST
प्रतीकात्मक फोटो
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली की एक सत्र अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व निर्धारित, यांत्रिक और गलत तरीके से आरोपपत्र दाखिल करने और सही तरीके से जांच नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने मामले में तीन आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया और जांच का आकलन करने और आगे की कार्रवाई करने के लिए मामले को वापस पुलिस के पास भेज दिया। 

"घटनाओं की ठीक से जांच नहीं हुई"

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला अकील अहमद, रहीश खान और इरशाद के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिन पर 25 फरवरी, 2020 को बृजपुरी में वजीराबाद रोड पर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी करने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था। न्यायाधीश ने बुधवार को एक आदेश में कहा, "इस मामले में सभी आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया गया है। यहां यह जिक्र किया जा रहा कि आरोपमुक्त करने का यह आदेश इसलिए पारित किया जा रहा है, क्योंकि घटनाओं की ठीक से और पूरी तरह से जांच नहीं की गई। आरोपपत्र पूर्व निर्धारित, यांत्रिक और गलत तरीके से दाखिल किए गए थे।" 

अदालत ने और क्या कहा?

अदालत ने कहा, "इसलिए इस मामले में की गई जांच का आकलन करने और कानून के अनुरूप आगे की कार्रवाई करने, शिकायतों को कानूनी और तार्किक अंत तक ले जाने के लिए मामला वापस पुलिस विभाग को भेजा जाता है।" न्यायाधीश ने कहा कि वहां कई दंगाई भीड़ थी, ऐसे में दंगे की प्रत्येक घटना के दौरान भीड़ का पता लगाना जांच अधिकारी का कर्तव्य था। अदालत ने कहा, "इसलिए इस मामले में जांच की गई प्रत्येक घटना के दौरान दंगाई भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की मौजूदगी स्थापित करना आवश्यक था।" 

"अभियोजन साक्ष्य के दो सेट के बीच टकराव"

अदालत ने कहा कि अभियोजन साक्ष्य के दो सेट के बीच टकराव था, जिन पर वर्तमान मामले में जांच की जा रही घटनाओं की तारीख और समय को स्थापित करने के लिए भरोसा किया गया था। आदेश में कहा गया, "अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों का एक सेट बाद के साक्ष्यों के सेट का खंडन करता है।" न्यायाधीश ने कहा, "इन परिस्थितियों में कथित घटनाओं में शामिल होने के लिए आरोपी व्यक्तियों पर गंभीर संदेह होने के बजाय मुझे आशंका है कि जांच अधिकारी ने रिपोर्ट की गई घटनाओं की ठीक से जांच किए बिना मामले के साक्ष्यों में हेरफेर किया।"

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