नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित मामले में शाह आलम नाम के एक आरोपी को जमानत दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने आरोपी को यह कहते हुए जमानत दी कि उसे केवल इसलिए 'अनिश्चितकाल तक' जेल में नहीं रखा जा सकता कि वह इस मामले में मुख्य आरोपी आम आदमी पार्टी के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन का छोटा भाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने शाह आलम को जमानत देते हुए कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एकमात्र गवाह का नाम जानबूझकर इसलिए शामिल किया क्योंकि कोई और स्वतंत्र गवाह नहीं मिला।
ताहिर हुसैन पर लगे हैं गंभीर आरोप
अदालत ने कहा कि यह मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन के घर का दंगाइयों द्वारा इस्तेमाल किए जाने, आगजनी और सार्वजनिक तथा निजी संपत्तियों को लूटने का 'सामान्य मामला' है। जज ने 9 दिसंबर को पारित आदेश में कहा, 'इस मामले में, केवल जय भगवान नामक एकमात्र गवाह को शामिल गया। मैंने उसकी शिकायत पढ़ी, जिसमें यह प्रतीत होता है कि इस मामले में जानबूझकर इस गवाह का नाम शामिल किया गया है क्योंकि कोई और स्वतंत्र गवाह नहीं मिला।' बता दें कि शाह आलम के बड़े भाई ताहिर हुसैन पर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए कथित तौर पर अपने राजनीतिक दबदबे का दुरुपयोग करने का आरोप है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कही ये बातें
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'विचार-विमर्श के बाद मेरा मानना है कि आवेदक (आलम) इस मामले में समानता के आधार पर मामले जमानत का हकदार है। उसे महज इसलिए अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता कि वह मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन का छोटा भाई या फिर उन लोगों में शामिल है, जिनकी पहचान दंगाई भीड़ में शामिल लोगों के तौर पर की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया।’ अदालत ने दयालपुर इलाके में दंगे से संबंधित इस मामले में आलम को 20 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा कराने को कहा।