नई दिल्ली: अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित हत्या के एक मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि किसी गवाह या पुलिस द्वारा आरोपी की पहचान नहीं की जा सकी और यहां तक कि सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में भी उसकी पहचान नहीं हो सकी। यह मामला सांप्रदायिक हिंसा के दौरान स्थानीय निवासी विनोद कुमार की हत्या से संबंधित है। नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुयी झड़पों के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गयी थी। दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि करीब 200 लोग घायल हो गए थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उत्तरी पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में दंगों के दौरान कुमार की कथित हत्या के मामले में अलीम सैफी को 30,000 रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के मुचलके पर राहत प्रदान कर दी। हालांकि, अदालत ने कहा कि अपराध "बहुत गंभीर" है लकिन सैफी की भूमिका देखनी होगी। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में किसी गवाह, व्यक्ति या पुलिस नहीं ने आरोपी की पहचान नहीं की है।
अदालत ने 26 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि केवल सह-आरोपी अरशद ने पहचान की है। अदालत ने सैफी को सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और बिना अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान, सैफी की ओर से पेश वकील अब्दुल गफ्फार ने कहा कि शिकायतकर्ता और कुमार के बेटे नितिन ने अपनी प्राथमिकी में यह नहीं कहा है कि वह सड़क पर दंगा करने वाले किसी भी हमलावर की पहचान कर सकते हैं।
पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक जिनेन्द्र जैन ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सैफी को सह-आरोपी के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और सीसीटीवी कैमरा फुटेज में अन्य लोगों ने भी आरोपी की पहचान की थी।