नई दिल्ली: साल 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में आरोपी पार्षद इशरत जहां को जमानत मिल गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इशरत जहां को UAPA के तहत गिरफ्तार किया था। कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां की तरफ से अदालत में जमानत याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि पुलिस के पास इशरत के खिलाफ एक भी सबूत नहीं है। इस मामले में इशरत जहां पर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
अदालत ने नवंबर 2020 में अपराध की गंभीरता को देखते हुए इशरत जहां को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इनमें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले शामिल थे। इशरत जहां मंडोली जेल में कोविड-19 के प्रकोप और अन्य चिकित्सा संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए जमानत मांग रही थीं। इससे पहले उसे शादी के लिए 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गयी थी और गवाहों को प्रभावित नहीं करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
दंगों में 53 लोगों की हो गई थी मौत
उसकी शादी 12 जून, 2020 को होनी तय हुई थी। इशरत जहां के अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कालिता, पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन तथा कई अन्य पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इन सभी पर फरवरी 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने का आरोप था। दंगों में 53 लोगों की मौत हो गयी थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गये थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में तनहा, नरवाल तथा कालिता को मामले में जमानत दी थी और कहा था कि सरकार ने असंतोष को दबाने की जल्दबाजी में प्रदर्शन के अधिकार तथा आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा को धूमिल कर दिया।