नयी दिल्ली: दिल्ली में सोमवार को कोरोना वायरस के 564 नए मरीजों की पुष्टि हुई। यह संख्या पांच महीनों में सबसे कम है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण से 21 और मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद मृतक संख्या बढ़कर 10,474 पर पहुंच गई। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण की दर 0.98 फीसदी है। नए मामले सामने आने के साथ ही शहर में कुल मामले बढ़कर 6,23,415 हो गए हैं। रविवार को 57,463 से ज्यादा नमूनों की जांच की गई थी। दिल्ली में रविवार को 757, शनिवार को 655, शुक्रवार को 758 और बृहस्पतिवार को 1063 मामले सामने आए थे।
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में 27 जुलाई को कोरोना वायरस के 613 मामले सामने आए थे। 16 अगस्त को 652 और 17 अगस्त को 787 मामले आए थे। स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक, दिल्ली में सोमवार को इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 6297 हो गई जो रविवार को 6713 थी। दिल्ली में 11 नवंबर को एक दिन में सबसे ज्यादा 8593 मामले आए थे।
बुलेटिन के मुताबिक, कोविड अस्पतालों के 18774 बिस्तरों में से 16275 बिस्तर खाली हैं। बुलेटिन में बताया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में 6,06,644 मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में सोमवार को निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या 4563 हो गई जो रविवार को 4931 थी।
इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, लेकिन दुनिया भर में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने और ब्रिटेन में इस वायरस का एक नया प्रकार सामने आने के मद्देनजर निगरानी और सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसने कोविड-19 की की (स्थिति की) निगरानी के सिलसिले में नये दिशानिर्देश जारी किये हैं और ये दिशानिर्देश 31 जनवरी तक प्रभावी रहेंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘(देश में कोविड-19 के) उपचाराधीन मरीजों और संक्रमण के नये मामलों में लगातार कमी आ रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर मामले बढ़ने और ब्रिटेन में वायरस का एक नया प्रकार सामने आने के मद्देनजर निगरानी, रोकथाम और सतर्कता बरकरार रखने की जरूरत है।’’
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘निरूद्ध क्षेत्रों का सावधानीपूर्वक सीमांकन जारी रखा जाए, इन क्षेत्रों में संक्रमण के प्रसार के रोकथाम के लिए निर्धारित उपायों का सख्ती से पालन किया जाए, कोविड से जुड़े उपयुक्त व्यवहार को बढ़ावा दिया जाए और उन्हें सख्ती से लागू किया जाए तथा विभिन्न गतिवधियों के संदर्भ में सुझाई गई मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) का पूरी गंभीरता से पालन किया जाए।’’