Thursday, November 21, 2024
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दिल्ली में कम हुआ प्रदूषण, कई इलाकों में AQI 300 से कम, जानें क्या है वजह

दिल्ली की हवा अभी भी बेहद जहरीली है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों की तुलना में लोगों को थोड़ी राहत मिली है। लगातार बढ़ रहा एक्यूआई का स्तर थमने के साथ कम हुआ है।

Edited By: Shakti Singh
Updated on: October 25, 2024 8:58 IST
Delhi pollution- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली प्रदूषण

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर थोड़ा कम हुआ है।  दिल्ली एनसीआर में गुरुवार और शुक्रवार को प्रदूषण में कमी आई है। स्थिति अभी भी चिंताजनक है, लेकिन पहले से बेहतर है। दिल्ली का औसतन एक्यूआई 283 है, जो कि 340 पहुंच गया था। वहीं, कई इलाकों में एक्यूआई का स्तर 300 से कम आ चुका है, जिन इलाकों में हवा सबसे खराब है, वहां भी यह आंकड़ा 400 से कम आ चुका है। मौसम में बदलाव के कारण दिल्ली एनसीआर में हवा की स्पीड बड़ी है, जिससे प्रदूषण कम हुआ है।

दिल्ली में सामान्य स्थिति में एक्यूआई 50 के आसपास रहता है। 50 से ज्यादा एक्यूआई वाली हवा सेहत के लिए नुकसानदेह होती है। 300 एक्यूआई वाली हवा बेहद खतरनाक होती है। इससे लोगों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टर ऐसी हवा में कम से कम रहने और काम करने की सलाह देते हैं। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी मॉर्निग वॉक बंद कर दी है।

 दिल्ली के कई इलाकों में आज AQI 300 के नंबर से नीचे है  

 चांदनी चौक  189 

 द्वारका 286 
 मंदिर मार्ग  296 
 मुंडका 284 
 नजफगढ़ 271
 नरेला 272 
 DU नॉर्थ केंपस 274
 ओखला 268 
 प्रतापगंज 295 
 सीरी फ़ोर्ट 276
 रोहिणी 311 
 सोनिया 312 
 विवेक विहार  316 
 जहांगीरपुरी  320 
 आनंद विहार 389 
 बवाना 314
 बुराड़ी 314

श्वास के मरीज बढ़े

दिल्ली के अस्पतालों में श्वास संबंधी मामलों में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। श्वास रोग विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। उन्होंने लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने और धूल के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी। ठंडे मौसम और स्थिर हवा के कारण वातावरण में पीएम2.5, पीएम10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) जैसे प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ जाता है।” पीएम2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले सूक्ष्म कणों से है, जबकि पीएम10 कणों का व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। दोनों ही कण श्वास प्रणाली के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं और कई गंभीर बीमारियों एवं स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण बनते हैं।

(दिल्ली से अनामिका गौर की रिपोर्ट)

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