नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस को देश की सबसे तेज और बढ़िया पुलिस कहा जाता है। पुलिस विभाग के पास वर्ल्ड क्लास फैसेलिटी है, प्रशिक्षित जवान हैं, लेकिन नए साल पर हुए कंझावला कांड ने पुलिस विभाग की कई छुपी हुई कमियों को उजागर करके रख दिया। इस कांड ने दिल्ली पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय को सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसे कांडों से कैसे बचा जाए? कैसे अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए? तमाम बैठकों और विचारों के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है।
फिर से अलग कर दी गई PCR यूनिट
दिल्ली पुलिस में अब पुलिस कंट्रोल रूम (PCR) यूनिट को फिर से अलग करने का आदेश जारी कर दिया गया है। यह आदेश सीधे पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की तरफ से जारी किया गया है। हालांकि इससे पहेल भी पीसीआर यूनिट्स अलग ही थीं। लेकिन पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना इसे जिले के साथ मिला दिया था। इस मर्जर के बाद स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) को इसपर नियंत्रण का अधिकार दिया गया था। इसका नुकसान ये हुआ कि पीसीआर के रेस्पांस करने का टाइम बढ़ गया। नए आदेशों के अनुसार, इस पर अमल आज मंगलवार से ही किया जाएगा और प्रक्रिया को पूरा होने में मार्च के अंत तक का समय लग सकता है।
पीसीआर यूनिट में तैनात 5,219 जवान और 650 वैन
आदेश के अनुसार, पीसीआर यूनिट में 5,219 जवान और 650 वैन हैं। पीसीआर यूनिट को 1 सितंबर 2021 को 15 जिलों की पुलिस के साथ मर्ज कर दिया गया था। आदेश में कहा गया है कि पुरानी व्यवस्था के वक्त रेस्पांस टाइम अच्छा था। हालांकि, इसके मर्जर से 2,700 पुलिस जवानों बीट वाले कामों में लगाने का मौक मिला था। पिछले सप्ताह ही 4,866 कांस्टेबल ने दिल्ली पुलिस अकादमी से अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है और ये जल्द ही दिल्ली पुलिस की सेवा में उपलब्ध होंगे।