![Julio Ribeiro, Julio Ribeiro Delhi Riots, Julio Ribeiro Delhi Violence, Julio Ribeiro Kapil Mishra](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
नई दिल्ली: रिटायर्ड IPS अधिकारी जूलियो रिबेरो ने 3 दिन पहले उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के मामलों की जांच पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस. एन. श्रीवास्तव को पत्र लिखा था। अब श्रीवास्तव ने एक ईमेल के जरिए इसका जवाब दिया है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रिबेरो को 2 पेज के जवाब में श्रीवास्तव ने लिखा है, 'दिल्ली पुलिस ने बड़े पैमाने पर ऐसे व्यक्तियों की जांच की है, जिनकी या तो उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों में भूमिका है या फिर उन्हें इसकी जानकारी है, जो सच्चाई तक पहुंचने में मदद करेगी।'
'पुलिस ने 1571 लोगों को उनकी जाति या धर्म देखे बिना अरेस्ट किया'
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने कहा है कि उन्होंने व्यक्तियों से उनके धर्म और पार्टी की संबद्धता के बिना सवाल किए हैं। इसके साथ ही इसने वैज्ञानिक साक्ष्य सहित दस्तावेजी सबूत एकत्र किए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि विशिष्ट विवरणों को इस स्तर पर साझा नहीं किया जा सकता है। श्रीवास्तव ने अपने जवाब में कहा है कि पुलिस ने 1,571 व्यक्तियों को उनकी जाति या धर्म को बिना देखे गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने दिल्ली पुलिस की जांच का समर्थन करते हुए कहा कि जांच के संबंध में गलत धारणा बनाई जा रही है। इससे पहले अपने ईमेल में रिबेरो ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए थे।
रिबेरो ने कहा, यह पत्र मैं आपको भारी मन से लिख रहा हूं
रिबेरो ने अपने पत्र में लिखा था, ‘यह पत्र मैं आपको भारी मन से लिख रहा हूं। एक सच्चे देशभक्त और भारतीय पुलिस सेवा के एक पूर्व गौरवशाली सदस्य के रूप में मैं आपसे अपील करता हूं कि उन 753 प्राथमिकियों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पंजीकृत हैं और जिन्हें स्वाभाविक तौर पर यह आशंका है कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ व्याप्त पूर्वाग्रह और घृणा के कारण उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा।’
‘कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर पर दोषारोपण नहीं हुआ’
उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई किया, लेकिन जानबूझकर उन लोगों के खिलाफ संज्ञेय अपराधों के मामले दर्ज करने में विफल रही, जिनके नफरत फैलाने वाले भाषणों के कारण उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। ऐसी स्थिति मेरे जैसे संतुलित तथा अराजनीतिक व्यक्ति को परेशान करती है कि क्यों न्यायालय के समक्ष कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर दोषारोपण नहीं किया गया। जबकि धर्म के आधार पर भेदभाव कर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही मुस्लिम महिलाओं को महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया!’ (IANS)