दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस का एक्शन लगातार जारी है। दिल्ली पुलिस ने वसंत कुंज थाना इलाके से 2 और बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए बांग्लादेशियों के नाम मोहम्मद जसीम और जोयनेब अख्तर है। दोनों बांग्लादेश के कालिदास गांव के रहने वाले हैं। दिल्ली पुलिस को साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट अबतक 30 बांग्लादेशियों को डिपोर्ट कर चुका है। पूरी दिल्ली में यह आंकड़ा करीब 75 के आसपास है। बता दें कि दिल्ली पुलिस की बांग्लादेश सेल भी अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को पकड़ने में जुटी हुई है। इससे पहले सेंट्रल दिल्ली पुलिस ने पिछले 6 दिनों में 9 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया है। यह गिरफ्तारियां एक बड़ी तफ्तीश के तहत की गई हैं, जिसमें दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों पकड़ा गया है।
बांग्लादेशी नागरिकों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई जारी
पुलिस के मुताबिक, 7 बांग्लादेशी नागरिकों को नवी करीम नामक होटल से पकड़ा गया। ये लोग टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे और फिर फर्जी दस्तावेज बनाकर रहने लगे। इसके अलावा कुछ बांग्लादेशी नागरिक डंकी रूट के जरिए भारत में दाखिल हुए थे। डंकी रूट का इस्तेमाल करके ये लोग पहले पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा से होते हुए दिल्ली पहुंचे। इस रूट का इस्तेमाल अवैध तरीके से सीमा पार करने के लिए किया जाता है। अब तक, सेंट्रल दिल्ली पुलिस कुल 14 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में ले चुकी है और उन्हें फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) के पास भेज दिया गया है, जहां इनकी कागज़ातों की जांच की जाएगी। इससे पहले दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के पालम गांव में अवैध रूप से रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक की पहचान कर उसे वापस उसके देश भेज दिया गया।
फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़
रविवार को पुलिस ने बताया कि यह व्यक्ति पिछले तीन साल से इस क्षेत्र में रह रहा था। पुलिस के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद शाहिदुल इस्लाम का नाम सामने आया था। सूचना मिलने के बाद पुलिस की एक टीम ने मंगलापुरी में एक संदिग्ध व्यक्ति के पास पहुंचकर उसकी जांच की। जब उससे भारतीय वैध दस्तावेजों के बारे में पूछा गया, तो वह कोई भी कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। उसके पास केवल बांग्लादेशी दस्तावेजों की फोटोकॉपी थी। बता दें कि बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने उस गिरोह का भंडाफोड़ भी किया था, जो बांग्लादेशी नागरिकों को भारत लाता और फिर उनके रहने, खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ उनके फर्जी दस्तावेज भी बनाने का काम करते थे।