देश की राजधानी दिल्ली में लोगों का दम घुट रहा है। यहां की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। गुरुवार (24 अक्टूबर) को दिल्ली का औसत एक्यूआई 340 पहुंच गया। सामान्य स्थिति में यह 50 के आसपास रहता है। 50 से ज्यादा एक्यूआई वाली हवा सेहत के लिए नुकसानदेह होती है। 300 एक्यूआई वाली हवा बेहद खतरनाक होती है। इससे लोगों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टर ऐसी हवा में कम से कम रहने और काम करने की सलाह देते हैं।
सबसे खराब हाल आनंद विहार और जहांगीरपुरी की है। इन दोनों जगहों का एक्यूआई 400 पहुंच चुका है। इस बीच कृत्रिम बारिश की मांग की जा रही है। बारिश होने पर हवा साफ होगी और दिल्ली का प्रदूषण कम होगा।
दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाके
आनंद विहार 400
जहांगीरपुरी 400
बवाना 385
वजीपुर 378
रोहिणी 377
मुंडका 3 72
सोनिया विहार 370
विवेक विहार 368
आरके पुरम 367
बुराड़ी 356
द्वारका 353
प्रतापगढ़ 351
नजफगढ़ 350
अशोक विहार 348
मंदिर मार्ग 347
सिरी फोर्ट 340
श्री अरबिंदो मार्ग 336
आईजीआई 331
आईटीओ 330
ओखला 328
सेहत पर पड़ रहा असर
दिल्ली एनसीआर में पॉल्यूशन का सबसे बुरा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। इंडिया गेट में लोग बड़ी संख्या में मॉर्निंग वॉक, एक्सरसाइज और साइकिलिंग के लिए सुबह-सुबह आते हैं, लेकिन हवा में प्रदूषण के कारण इंडिया गेट इस समय पूरा खाली है। कुछ गिने-चुने लोग ही यहां एक्सरसाइज के लिए आ रहे हैं। इन हालातों को लेकर एक साइकलिस्ट का कहना है कि पॉल्यूशन से उन्हें साइकिलिंग करने में मुश्किल हो रही है। वह ज्यादा देर तक साइकिल नहीं चला पा रहे हैं, सांस फूलने लग रही है और आंखों में भी जलन हो रही है।
30 से 40 फीसदी बढ़े सांस के मरीज
दिल्ली के अस्पतालों में श्वास संबंधी मामलों में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। श्वास रोग विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। उन्होंने लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने और धूल के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से ‘खराब’ श्रेणी में है। बुधवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी के आसमान में धुंध की मोटी परत छाई रही। दोपहर तीन बजे शहर का एक्यूआई 367 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। कई निगरानी स्टेशन पर वायु गुणवत्ता पहले ही ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी है।
डॉक्टरों ने क्या कहा?
गुरुग्राम स्थित पारस हेल्थ अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अरुणेश कुमार ने कहा, “हम श्वसन संबंधी मामलों में जबरदस्त वृद्धि देख रहे हैं और अस्पतालों ने 30 से 40 फीसदी अधिक मरीज आने की जानकारी दी है। इस वृद्धि के लिए मुख्य रूप से वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर जिम्मेदार है। ठंडे मौसम और स्थिर हवा के कारण वातावरण में पीएम2.5, पीएम10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) जैसे प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ जाता है।” पीएम2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले सूक्ष्म कणों से है, जबकि पीएम10 कणों का व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। दोनों ही कण श्वास प्रणाली के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं और कई गंभीर बीमारियों एवं स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण बनते हैं।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की रेजिडेंट डॉक्टर अंशिता मिश्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में मरीज सूखी खांसी और आंखों में जलन जैसी शिकायतें लेकर आ रहे हैं। डॉ. मिश्रा ने आशंका जताई कि दिवाली के बाद और पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने की शुरुआत करने के बाद श्वास संबंधी शिकायतों के मामले और बढ़ेंगे। उन्होंने लोगों को मास्क पहनने, बाहरी गतिविधियों से बचने और पटाखे जलाने से बचने की सलाह दी। डॉ. मिश्रा ने यह भी कहा कि अच्छा ‘सनस्क्रीन’ लगाए बिना बाहर न निकलें। उन्होंने कहा, “दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में हवा की खराब गुणवत्ता के कारण हर गुजरते दिन के साथ बच्चों में अस्थमा और एलर्जी का खतरा बढ़ रहा है। वे धूल के प्रति अधिक संवेदनशील भी बन रहे हैं। उन्हें त्वचा संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।”
(दिल्ली से अनामिका गौड़ की रिपोर्ट)