Kidney Transplant: गंभीर बीमारी से जूझ रहे दो लोगों को अपनों की नहीं दूसरों की किडनी से नई जिंदगी मिली जब दो रोगियों को एक-दूसरे की पत्नी का अंग ट्रांसप्लांट किया गया। एक अस्पताल ने बताया कि दो परिवारों के एक-एक पुरुष सदस्य किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और ट्रांसप्लांट के अलावा उनके पास इलाज का और कोई उपाय नहीं था। उन्होंने बताया, लेकिन समस्या यह थी कि दोनों ही मरीजों की पत्नियां ब्लड ग्रुप अलग होने के कारण अपने-अपने पति को किडनी नहीं दे सकती थीं। लेकिन, अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों महिलाओं को पता चला कि उनका ब्लड ग्रुप अपने पति से नहीं मिल रहा है, लेकिन वे एक-दूसरे के पतियों को किडनी दे सकती हैं।
पिछले करीब 2 साल से डायलिसिस पर थे दोनों मरीज
डॉक्टरों से यह सूचना पाकर दोनों महिलाओं ने एक-दूसरे के पतियों को किडनी देने का फैसला लिया ताकि दोनों पुरुषों की जान बचाई जा सके। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका में स्थित आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दोनों की सर्जरी हुई। किडनी संबंधी रोगों के विभाग के अवर निदेशक और वरिष्ठ डॉक्टर विक्रम कालरा ने कहा कि दोनों मरीज पिछले करीब 2 साल से डायलिसिस पर थे। उन्होंने बताया कि दोनों मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी, दोनों की पत्नियां इसके लिए तैयार भी हो गईं लेकिन उनका ब्लड ग्रुप अपने पति से नहीं मिला।
एक ही वक्त में हुई दोनों सर्जरी
कालरा ने कहा, ‘‘हमने दोनों मरीजों और किडनी देने वालों की सेहत पर ध्यान दिया। उसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की अदला-बदली से संबंधित सरकार द्वारा मंजूर प्रस्ताव दोनों को दिया गया। दोनों की रजामंदी और समिति की मंजूरी से हमने यह ट्रांसप्लांट किया।’’ अस्पताल के अनुसार, दोनों सर्जरी एक ही वक्त में हुई।
चारों को अच्छी हालत में अस्पताल से मिली छुट्टी
अस्पताल के यूरोलॉजी, यूरोआंकोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉक्टर विकास अग्रवाल ने बताया, ‘‘पूरी प्रक्रिया मे करीब 7 घंटे का वक्त लगा। किडनी देने वाली दोनों महिलाओं की सर्जरी के लिए अतिरिक्त मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे की जरूरत पड़ी...।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सब कुछ सही रहा और चारों (किडनी देने वाले और लेने वाले) सर्जरी के दौरान ठीक रहे। अस्पताल से उन्हें अच्छी हालत में छुट्टी दे दी गई है।’’