Delhi News: सु्प्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह देश में भूख और कुपोषण से हुई मौतों का आकंड़ा अदालत के समक्ष पेश करे। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने केंद्र से कम्युनिटी किचन स्कीम के कार्यान्वयन के लिए एक मॉडल योजना भी पेश करने को कहा। सु्प्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को कहा था कि मॉडल सामुदायिक रसोई योजना (कम्युनिटी किचन स्कीम) तैयार करने में केंद्र सरकार की भूमिका होगी खासकर इसके लिए अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की संभावना तलाशने में। अदालत ने सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण से हुई मौत के मामलों (यदि कोई हो तो) को दर्शाने वाला हलफनामा दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था, जिसकी एक प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और अटॉर्नी जनरल को अग्रिम रूप से देने को कहा था।
सभी राज्य सरकारों से मांगा गया है विवरण
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल(Additional Solicitor General) माधवी दीवान ने न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ से कहा कि पूर्व के आदेश के संबंध में सभी राज्य सरकारों से विवरण मांगा गया है। दीवान ने सामग्री को एकत्र करने और अदालत के समक्ष उचित रिपोर्ट दायर करने के लिए और समय मांगा। पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि कुछ राज्यों ने केंद्र को सूचना नहीं प्रदान की है। साथ ही दीवान के अनुरोध को मानते हुए पीठ ने याचिका पर सुनवाई तीन नवंबर तक के लिए टाल दी।
2022 में भूखे पेट सोने वालों की संख्या हुई 35 करोड़
जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता अनुन धवन एवं अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता अशिमा मांडला ने कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में भूखे पेट सोने वालों की संख्या वर्ष 2018 के 19 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2022 में 35 करोड़ हो गई। अधिवक्ता ने कहा कि मौजूदा कार्यक्रम जैसे कि मध्याह्न भोजन योजना, आईसीडीएस और अन्य, केवल सीमित वर्ग को खाद्यान्न मुहैया कराती हैं जैसे कि 14 साल तक के बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं।
किसी राज्य ने भूख से मौत की खबर नहीं दी: वकील
अधिवक्ता ने कहा कि आम जनता को पका हुआ भोजन परोसने की कोई योजना नहीं है। इसके पहले 18 जनवरी को केंद्र सरकार ने अदालत में कहा था कि किसी राज्य ने भूख से मौत की खबर नहीं दी है। इस पर शीर्ष अदालत ने सख्त लहजे में कहा था कि क्या इसे सही बयान के रूप में लिया जाये। इसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार से देशभर में सामुदायिक रसोई स्कीम लागू करने के लिए मॉडल योजना तैयार करने के लिए कहा था। पीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को सामुदायिक रसोई चलाने की योजना तैयार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।