Highlights
- अरोड़ा 1988 की बैच के आईपीएस अधिकारी हैं
- वर्ष 2004 में सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक मिला
- वीरप्पन गिरोह के खिलाफ अहम सफलता हासिल की
Delhi News: संजय अरोड़ा दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर बन गए हैं। वे आज दिल्ली पुलिस मुख्यालय पहुंचे। यहां पहुंचकर संजय अरोड़ा ने दिल्ली पुलिस आयुक्त यानी कमिश्नर के रूप में कार्यभार संभाला।इससे पहले उन्हें दिल्ली पुलिस मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।तमिलनाडु कैडर के IPS अधिकारी रहे संजय अरोड़ा 1988 की बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें तमिलनाडु काडर से एजीएमयूटी काडर में शिफ्ट किया गया। इस काडर में आते ही उन्हें दिल्ली पुलिस के नए कमिश्नर की जिम्मेदारी दे दी गई। गौरतलब है कि उन्हें कई पुलिस पदक भी मिल चुके हैं। वर्ष 2004 में सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक मिला। फिर वर्ष 2014 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक भी प्राप्त हुआ। इसके अलावा पुलिस विशेष कर्तव्य पदक, आंतरिक सुरक्षा पदक और संयुक्त राष्ट्र शांति पदक सहित अन्य से सम्मानित किया जा चुका है।
वीरप्पन गिरोह के खिलाफ अहम सफलता हासिल की
आईपीएस संजय अरोड़ा ने मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर (राजस्थान) से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। जब वे आईपीएस बने, उसके बाद उन्होंने तमिलनाडू के पुलिस के विभिन्न विभागों में कई पदों पर काम किया। वह स्पेशल टास्क फोर्स के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे, जहां उन्होंने वीरप्पन गिरोह के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, जिसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री के वीरता पदक से सम्मानित किया गया। वीरप्पन चंदन तस्कर के रूप में कुख्यात था, जिसे पकड़ना काफी मुश्किल था।
लिट्टे के दौर में अहम भूमिका निभाई थी
उन्होंने पांच साल यानी 1997 से 2002 तक कमांडेंट के रूप में प्रतिनियुक्ति पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में सेवाएं भी दीं। उन्होंने उत्तराखंड के मतली में ITBP बटालियन की एक सीमा सुरक्षा की कमान अपने हाथों में ली थी। ये दौर 1997 से 2000 तक का था। पुलिस कमिश्नर अरोड़ा ने लिट्टे के दौर में भी अहम भूमिका निभाई। वे एनएसजी द्वारा प्रशिक्षित थे। इसके बाद 1991 में अरोड़ा ने एलटीटीई यानी लिट्टे गतिविधि के सुनहरे दिनों के दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन दिनों लिट्टे की गतिविधियां चरम पर थीं। उन्होंने तमिलनाडु के विभिन्न जिलों के पुलिस अधीक्षक के रूप में भी काम किया।
ट्रेनर भी रहे, आईटीबीपी की जिम्मेदारी भी संभाली
वहीं उन्होंने एक ट्रेनर के रूप में भी प्रभावी काम किया। 2000 से 2002 तक ITBP अकादमी, मसूरी में कमांडेंट (लड़ाकू विंग) के रूप में अपनी सेवाएं दीं। फिर उन्होंने 2002 से 2004 तक पुलिस आयुक्त, कोयंबटूर शहर के रूप में काम किया। उन्होंने पुलिस उप महानिरीक्षक, विल्लुपुरम रेंज और सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी उप निदेशक के रूप में भी कार्य किया है.
छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ, बीएसएफ में भी सेवाएं दीं
चेन्नई पुलिस में उन्होंने यातायात विभाग में भी अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने यातायात आयुक्त के रूप में भी अपनपी सेवाएं दी हैं। बाद में उन्हें प्रमोशन के बाद तमिलनाडु राज्य की पुलिस में एडीपी संचालन की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने बीएसएफ, आईजी छत्तीसगढ़ सेक्टर सीआरपीएफ और आईजी आपरेशंस सीआरपीएफ के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी को प्रभावी तरीके से निभाया।पिछले साल 31 अगस्त, 2021 को वे आईटीबीपी के डीजी बने। उन्होंने आईटीबीपी के 31वें सेना
प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया।