Highlights
- बंदरों के उत्पात को नियंत्रित करने के लिए संसद सुरक्षा सेवा ने 4 लोगों को सेवा पर लिया
- बंदरों को भगाने के लिए दो तरह के कर्मियों को रखा- कुशल और अकुशल कर्मी
- कुशल कर्मियों को 17,990 रुपये और अकुशल कर्मियों 14,900 रुपये प्रतिमाह का मानदेय
Delhi News: सरकार ने संसद भवन परिसर में उत्पात मचाने वाले बंदरों को भगाने के लिए चार फुर्तीले नौजवानों को नौकरी दी है, जो कि लंगूर की वेशभूषाधारण करके बंदर भगाएंगे। संसद भवन परिसर में उत्पात मचाने वाले बंदरों को भगाने के लिए ऐसे 4 लोगों को नियुक्त किया गया है जो लंगूर की आवाज निकाल कर और अन्य उपायों से बंदरों को भगाएंगे। संसद सुरक्षा सेवा के परिपत्र से यह जानकारी मिली है। संसद सुरक्षा सेवा द्वारा 22 जून को जारी परिपत्र के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि संसद भवन परिसर में बंदरों की अक्सर मौजूदगी देखी गई है। इसमें उन रिपोर्ट का जिक्र है जिसके अनुसार भवन की देखरेख करने वाले कुछ कर्मियों द्वारा खानपान की बची हुई चीजों को कूड़ेदान एवं खुले में फेंका जाता है।
इसमें कहा गया है कि खानपान की बची हुई चीजों को कूड़ेदान एवं खुले में फेंकना बंदरों, बिल्लियों और चूहों को आकर्षित करने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। परिपत्र में सभी संबंधित पक्षों को सुझाव दिया गया है कि वे खानपान की बची हुई चीजें इधर उधर नहीं फेंके। परिपत्र के अनुसार, ‘‘बंदरों के उत्पात को नियंत्रित करने के लिए संसद सुरक्षा सेवा ने चार लोगों को सेवा पर लिया है।’’
पहले बंदरों को भगाने के लिए रखते थे लंगूर
संसद में बंदरों को भगाने के लिए सेवा पर लिए गए एक कर्मी ने बताया कि पहले बंदरों को भगाने के लिए लंगूर को रखा जाता था लेकिन अब इस पर प्रतिबंध लग गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें संसद में बंदरों को भगाने के लिए अनुबंधन पर रखा गया। हम लंगूर की आवाज निकालकर एवं दूसरे तरह के उपायों से बंदरों को भगाएंगे।’’ कर्मी ने बताया कि बंदरों को भगाने के लिए दो तरह के कर्मियों को रखा जाता है, इसमें एक श्रेणी कुशल और दूसरी अकुशल कर्मी की है। उन्होंने बताया कि कुशल कर्मियों को 17,990 रुपये और अकुशल कर्मियों 14,900 रुपये प्रतिमाह का मानदेय दिया जाता है।
रबड़ बुलेट गन के साथ तैनात हुए थे 'मंकी मैन'
इससे पहले भी 2014 में सरकार ने बंदरों के आतंक से बचने के लिए 40 ऐसे युवकों का दल तैयार किया था, जो लंगूर की वेश में थे। युवकों को लंगूर के वेश में देखकर बंदर भाग जाते थे और इस तरह से आतंक से बचा जा सकता है। इन 40 'मानव लंगूरों' के अलावा एनडीएमसी ने बंदरों को भगाने के लिए रबड़ बुलेट गन भी खरीदी थी। इस काम के लिए मानव लंगूरों (मंकी मैन) को एक दिन का 700-800 मिलता था और इन्हें महीने में लगभग 15 दिनों तक का काम मिल जाता था। इसके अलावा बंदरों पर गोलियां भी चलाई जाती थी पर वो असली गोलियों की जगह रबर की गोलियां होती थी।