नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के धीरे धीरे खत्म होने के साथ प्रवासी मजदूर काम की तलाश में एक बार फिर दिल्ली की ओर रुख कर रहें हैं। वहीं दिल्ली में अनलॉक प्रक्रिया के तहत इन सभी को फिर से जिंदगी पटरी पर लौटने की उम्मीद बनी हुई है। दिल्ली में निर्माण और फैक्ट्रियों को खोलने की इजाजत दिल्ली सरकार द्वारा दे दी गई है। आनंद विहार बस स्टैंड और कौशम्भी बस स्टैंड पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बिहार , यूपी और अन्य राज्यों से एक बार फिर लौटने लगे हैं।
बस स्टैंड पर मौजूद बस चालको और परिचालकों के अनुसार, बीते 3 से 4 दिन में वापस लौटने वाले लोगों की संख्या बढ़ी हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड और यूपी के कौशम्भी बस स्टैंड से जाने वालों की संख्या कम है। वहीं छोटे छोटे शहरों से एक बार फिर से लोग दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। यूपी, दिल्ली समेत कई राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते दिल्ली में मौजूद कंपनियां खुलने लगी है। कंपनी में कार्यरत ठेकेदार मजदूरों को फोन कर वापस बुला रहें हैं। कुछ प्रवासी मजदूर ऐसे भी जो वापस आने के बाद अब खुद काम ढूढेंगे।
यदि बीते 24 घंटे में देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की बात करें तो 1.32 लाख नए मामले सामने आए हैं जबकि 2713 मरीजों की मौत हुई है। हालांकि कई ऐसे राज्य भी है जिधर कोविड-19 की वजह से अभी भी लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया गया है।
अलीगढ़ से दिल्ली लौट रहे प्रवासी मजदूर सूरज ने बताया कि, मेरे ठेकेदार ने फोन कर मुझसे कहा कि काम खुल गया है वापस आ जाओ। लॉकडाउन के दौरान वापस लौटने के बाद बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा। पैसे की मारामारी, खाने की दिक्कत हुई। अब जब काम खुला है तो काम तलाशेंगे वरना फिर वापस चले जाएंगे। बिहार से लौटे धीरेंद्र यादव और उनके अन्य साथी अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही दिल्ली वापस लौटे हैं। उन्होंने बताया कि, हमारी अन्य साथी जो दिल्ली में रहे रहें हैं उनके द्वारा जानकारी दी गई कि काम फिर से चलने पड़ा है। अब वापस आए है तो काम ढूढेंगे।
यूपी के बुलंदशहर निवासी पुष्पेंद्र ने बताया कि, लॉकडाउन लगने के बाद घर वापस चला गया था, अब फिर से काम करने के लिए आया हूं। एक कंपनी में एक्सपोर्ट कटिंग मास्टर हूं। घर पर ही कुछ नहीं कर रहा था, 2-4 दिन में कुछ न कुछ मिल ही जाएगा। गोरखपुर निवासी शरजील अहमद आनंद विहार बस स्टैंड वापस आए हैं, उन्होंने बताया कि, महीने भर पहले काम बंद होने के कारण घर चला गया था, समाचारों से जानकारी मिली कि कंपनियां खुलने लगी है। स्पीकर फैक्ट्री में काम करता था, फिलहाल आया हूं तो फैक्ट्री में ही काम देखेंगे। यदि काम नहीं मिला तो कुछ और काम तलाशना पड़ेगा।
हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना महामारी में लोगों की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई हैं। इतना ही नहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई में ही करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं। हालांकि जैसे जैसे कोरोना के मामले कम होने लगे है राज्य सरकारों द्वारा लोगों को राहत दी जाने लगी है। यही कारण है कि लोग एक बार फिर काम की तलाश में बड़े बड़े शहरों में कूच करने लगे हैं।