दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के मेयर पद का चुनाव अब रोचक बन गया है। अभी तक उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारेगी, लेकिन नामाकंन के आखिरी दिन पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित करते हुए आम आदमी पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है। बीजेपी ने भी मेयर के लिए रेखा गुप्ता को मैदान में उतार दिया है। वहीं डिप्टी मेयर पद के लिए कमल बागड़ी नामांकन भरेंगी। इसके अलावा स्टैंडिंग कमिटी के मेंबर के लिए बीजेपी की ओर से कमलजीत सहरावत, गजेंद्र दराल, पंकज लूथरा उम्मीदवार होंगे। आपको बता दें कि दिल्ली में मेयर का चुनाव 6 जनवरी को होगा। जिसके लिए मेयर पद के उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया का आज आखिरी दिन था।
आप ने पहले ही घोषित कर दिए थे अपने प्रत्याशी
वहीं इससे पहले आम आदमी पार्टी ने शैली ओबरॉय को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही डिप्टी मेयर उम्मीदवार आले मोहम्मद इकबाल होंगे। बता दें शैली ओबरॉय पटेल नगर विधानसभा के वार्ड 86 से पार्षद हैं, वहीं मोहम्मद इकबाल मटिया महल के वार्ड 76 से पार्षद हैं। बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को 250 सीटों में से 134 और भाजपा को 104 सीटें मिलीं हैं। जिसके बाद माना जा रहा था कि आप को बहुमत मिलने के बाद बीजेपी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, लेकिन अब नेयर पद की जंग और भी रोचक हो गई है।
कैसे होता है मेयर का चुनाव, जानिए पूरी प्रक्रिया
दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार, स्थानीय शहरी निकाय के लिए हर पांच साल में चुनाव कराना अनिवार्य है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि सत्ता में बने रहने के लिए कौन सी पार्टी बहुमत में है। अधिनियम की धारा 35 में कहा गया है कि नागरिक निकाय को प्रत्येक वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में महापौर का चुनाव करना चाहिए।
बहुमत वाली पार्टी मनोनीत करेगी पार्षद का नाम
हालांकि सदन में स्पष्ट बहुमत वाली पार्टी पार्षद का नाम मेयर पद के लिए मनोनीत कर सकती है। लेकिन, अगर कोई विपक्षी दल फैसले का विरोध करता है और अपने उम्मीदवार को नामांकित करता है, तो चुनाव होगा। यदि सत्ता में पार्टी से केवल एक उम्मीदवार है, तो उन्हें महापौर नियुक्त किया जाएगा। एक चुनाव के मामले में, सबसे अधिक वोट वाले उम्मीदवार को मेयर चुना जाएगा।
कोई भी पार्षद दे सकता है किसी भी उम्मीदवार को वोट
महापौर के चुनाव के लिए अलग-अलग नामांकन किए जाते हैं यदि अन्य दल सत्ताधारी दल द्वारा महापौर के लिए नामित नाम से संतुष्ट नहीं होते हैं। महापौर के लिए मतदान एक गुप्त मतदान के माध्यम से किया जाता है। उपराज्यपाल महापौर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी को नामित करता है। चूंकि निकाय चुनाव में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है, कोई भी पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकता है। हालांकि, पार्टियों के बीच टाई के मामले में चुनाव की देखरेख के लिए नियुक्त पीठासीन अधिकारी बहुत से विशेष ड्रॉ आयोजित करता है और जिस उम्मीदवार का नाम निकाला जाता है वह महापौर (मेयर) होगा।