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दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में एसीबी की बड़ी कार्रवाई, ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह गिरफ्तार

नरेश सिंह पर आरोप है कि वह बिल वसूलने वाली कंपनी ऑरम ई-पेमेंट्स और फ्रेश पे के निदेशकों से लाखों रुपये की रिश्वत ले रहे थे।

Reported By: Jatin Sharma @jatin89_sharma
Updated on: February 21, 2023 12:02 IST
नरेश सिंह, ज्वॉइंट डायरेक्टर, दिल्ली जल बोर्ड- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी नरेश सिंह, ज्वॉइंट डायरेक्टर, दिल्ली जल बोर्ड

नयी दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले एसीबी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जल बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इस घोटाले में दिल्ली जल बोर्ड के किसी बड़े अधिकारी की यह पहली गिरफ्तारी है। पानी के बिल के 20 करोड़ से अधिक के घोटाला मामले में यह गिरफ्तारी हुई है। एसीबी ने पिछले हफ्ते बिल वसूलने वाली दो कंपनी, फ्रेश पे आईटी साल्यूशंस और ऑरम ई-पेमेंट्स के तीन मालिक और डायरेक्टर को गिरफ्तार किया था। एसीबी ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह से सोमवार शाम 5 बजे से पूछताछ कर रही थी। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

 20 करोड़ की धांधली के आरोप

दरअसल, ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह पर जलबोर्ड के वाटर सप्लाई के मीटर पर 20 करोड़ की धांधली के आरोप हैं। जिस वक्त यह घोटाला हुआ उस वक्त नरेश सिंह दिल्ली जल बोर्ड में डायरेक्टर रेवेन्यू के पद पर तैनात थे। नरेश सिंह पर आरोप है कि वह बिल वसूलने वाली कंपनी ऑरम ई-पेमेंट्स और फ्रेश पे के निदेशकों से लाखों रुपये की रिश्वत ले रहे थे। 

नियम कानून को ताक पर रखकर दिया ठेका

साथ ही नरेश सिंह ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर रहते हुए ऑरम ई पेमेंट्स के जरिए आने वाले बिल पेमेंट्स का मिलान नहीं किया। 2015 में जब पहली बार कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया गया तब से साल दर साल ई-कियोस्क से बिल भुगतान की वसूली के ठेके को 2020 तक बढ़ाने में उन्होंने फ्रेश पे की मदद की। नियम कानून को ताक पर रखकर हर साल बिल वसूलने का ठेका इन्हीं कंपनियों को दिया जाता रहा।

क्या है पूरा मामला

एसीबी के ज्वाइंट कमीशनर मधुर वर्मा ने बताया कि दिल्ली जलबोर्ड ने लोगों की सहूलियत के लिए पानी के बिल नगर या चेक से भुगतान करने के लिए फ्रेश पे आईटी सॉल्यूशन को ठेका दिया था इस कंपनी ने आगे ऑरम ई पेमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका सौंप दिया। कंपनी ने दिल्ली में जगह-जगहर कैश कलेक्शन मशीनें स्थापित की थीं। यह  ठेका वर्ष 2012 से लेकर 2018 अगस्त माह तक रहा , लेकिन ऑरम ई पेमेंट कंपनी ने मार्च 2020 तक लोगों से पेमेंट एकत्रित की थी। इस तरह करीब 20 करोड़ रुपये एकत्रित किए गए, लेकिन इस कंपनी ने रकम दिल्ली जल बोर्ड के खातों में स्थानांतरित नहीं की। शिकायत मिलने पर जांच की गई तो पता चला कि इस गबन में  दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी और अन्य लोगों के अलावा कॉरपोरेशन बैंक के अधिकारी, जो अब यूनियन बैंक हो गया है, भी शामिल हैं। इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।बताया गया कि इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

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