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उद्धव ठाकरे को नहीं मिली दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर EC की रोक बरकरार

दिल्ली हाईकोर्ट ने शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज करने से जुड़े एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: December 19, 2022 22:28 IST
पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे(फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे(फाइल फोटो)

दिल्ली हाईकोर्ट ने शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज करने से जुड़े एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के 'धनुष और तीर' चिन्ह को फ्रीज करने संबंधी चुनाव आयोग (EC) के फैसले को खारिज करने से इनकार करने के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि भारत के इलेक्शन कमीशन के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी। इसलिए, भारत का चुनाव आयोग उसके समक्ष लंबित विवाद के फैसले के साथ आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है। आयोग चुनाव चिह्न् (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 15 के तहत आगे बढ़ सकता है।

13 दिसंबर को उद्धव ने खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा

दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर को इसी मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। उद्धव ठाकरे ने 13 दिसंबर को एकल न्यायाधीश की पीठ के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना के नाम और चिन्ह को फ्रीज करने के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।

अंधेरी उपचुनाव में दिए गए थे अलग-अलग सिंबल

15 नवंबर को जज संजीव नरूला ने ठाकरे की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इलेक्शन कमीशन द्वारा की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई थी। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों को 8 अक्टूबर को आधिकारिक मान्यता तय होने तक एक ही नाम या चिन्ह का उपयोग करने से रोकने का निर्देश दिया था। हाल ही में हुए अंधेरी पूर्व उपचुनाव के लिए उन्हें अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे।

'EC ने मान लिया था कि शिवसेना के दो गुट हैं'

बता दें कि पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने अपील की थी कि चुनाव आयोग(EC) ने फ्रीजिंग आदेश पारित करते समय मान लिया था कि शिवसेना पार्टी के दो गुट हैं। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया था कि यह नहीं कहा जा सकता है कि पार्टी में दो गुट हैं। क्योंकि वह 'निर्वाचित अध्यक्ष' बने हुए हैं, जिसे शिंदे ने भी स्वीकार किया था।

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