नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सीमा शुल्क संबंधी मामले का सामना कर रहे एक अफगान नागरिक को अपने परिवार की देखभाल के लिए अफगानिस्तान जाने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके देश में मौजूदा परिस्थितियों के चलते उसके वापस आने की संभावना बहुत कम है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति का पासपोर्ट जारी करने और उस पर लगाया गया 13 लाख रुपये का जुर्माना जमा किए बिना उसे भारत छोड़ने की अनुमति देने का कोई आधार नहीं है।
अवैध रूप से दवाएं ले जाते एयरपोर्ट पर पकड़ा गया था शख्स
इस शख्स को अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरने से पहले कुछ दवाएं अवैध रूप से ले जाते हुए एयरपोर्ट से पकड़ा गया था। इसके बाद उसके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी। उसपर जब्त सामान की कीमत के अनुरूप अपराध से मुक्ति पाने संबंधी 9 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) ने उसपर 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना भी लगाया था। याचिकाकर्ता ने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है। वह इस आधार पर अफगानिस्तान जाना चाहता है कि वहां उसके 11 बच्चे हैं तथा उसकी पहली पत्नी को आतंकवादियों ने मार डाला है। उसने कहा कि उसे अपने परिवार की देखभाल करनी है।
फरवरी 2021 में मिली थी अफगानिस्तान जाने की इजाजत
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘तथ्यों और विशेष रूप से इस तथ्य के मद्देनजर कि अफगानिस्तान में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता के भारत वापस आने की बहुत कम संभावना है, इस कोर्ट को याचिकाकर्ता का पासपोर्ट जारी करने और उसे 13 लाख रुपये का जुर्माना जमा किए बिना देश छोड़ने की अनुमति देने का कोई आधार नहीं मिलता है।’ शुरू में, इस व्यक्ति ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से संपर्क किया था जिसने उसे कुछ शर्तों के साथ एक फरवरी 2021 को अफगानिस्तान जाने की अनुमति दी थी। उसने इस निर्णय को सत्र अदालत में चुनौती दी थी।
जून में खारिज हो गई थी अफगान की पुनरीक्षण याचिका
उसकी पुनरीक्षण याचिका जून में खारिज कर दी गई थी जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस व्यक्ति के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल अपराध से मुक्ति पाने संबंधी 9 लाख रुपये का जुर्माना और 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना जमा करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उसे राशि का 20 प्रतिशत जमा करने की अनुमति देकर अफगानिस्तान जाने दिया जाए। वकील ने कहा कि चूंकि व्यक्ति संबंधित सामान वापस लेने का इच्छुक नहीं है, इसलिए अपराध से मुक्ति पाने संबंधी जुर्माना जमा करने की आवश्यकता नहीं है और उसे केवल व्यक्तिगत जुर्माना देना होगा।
कोर्ट ने कहा, निर्णय में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है
कोर्ट के इस सवाल पर कि क्या व्यक्ति ने अपील में अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) के आदेश को चुनौती दी है, वकील ने ‘न’ में जवाब दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि आदेश को चुनौती देने के लिए कोई अपील दायर नहीं की गई है तो यह अंतिम रूप ले चुका है और उसे 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना जमा करना होगा। कोर्ट ने कहा कि यह देखते हुए कि निर्णय संबंधी कार्यवाही ने अंतिम रूप ले लिया है और याचिकाकर्ता चीजों को वापस नहीं लेना चाहता है, उसे जुर्माना राशि जमा करने की आवश्यकता है। इसने कहा कि इसलिए इस कोर्ट को निर्णय में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है और याचिका खारिज की जाती है।