दिल्ली हाईकोर्ट ने बंगाली मार्केट मस्जिद और तकिया बब्बर शाह मस्जिद को रेलवे की तरफ से दिए गए नोटिस पर स्टे लगाया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने रेलवे से इन दो मस्जिदों पर नोटिस लगाने को लेकर जवाब भी मांगा है। दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 6 अगस्त को करेगी। बता दें कि इन दो मस्जिदों को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बताते हुए रेलवे ने हटाने का नोटिस दिया था, दिसके बाद दिल्ली वक्फ बोर्ड रेलवे के इस नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट गया था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पिछले हफ्ते ही उत्तर रेलवे ने बंगाली मार्केट मस्जिद और तकिया बब्बर शाह मस्जिद पर हटाने का नोटिस चस्पा किया था। इस नोटिस पर लिखा था कि 15 दिनों में खुद हटा लें मस्जिद वरना रेलवे हटा देगा। इन नोटिस में रेलवे ने लिखा है कि ये मस्जिदें उनकी जमीन पर बनी हैं। इन दो बड़ी मस्जिदों के अलावा तकिया बब्बर शाह मस्जिद के करीब मौजूद नगर निगम के मलेरिया विभाग के ऑफिस को भी रेलवे ने हटाने का नोटिस दिया है और 15 दिन में इस विभाग के ऑफिस को भी हटाने की बात कही है।
"1945 में हुआ था कानूनी तौर पर एग्रीमेंट"
जब रेलवे की ओर से इन दोनों मस्जिदों को हटाने का नोटिस दिया गया तो दिल्ली वक्फ बोर्ड हरकत में आया था। वक्फ ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा था कि मस्जिद की जमीन साल 1945 में कानूनी तौर पर एग्रीमेंट के तहत ट्रांसफर की गई थी। मस्जिद कमेटी का दावा है कि ये 250 और 500 साल पुरानी है मस्जिदे हैं। वक्फ ने कहा था कि ये मस्जिद जिसके अंदर हुजरे, आंगन, शौचालय, चबूतरे आदि का कुल माप 0.095 एकड़ भूमि दिनांक 06.03.1945 को एक एग्रीमेंट के माध्यम से सुन्नी मजलिस औकाफ को काउंसिल में गवर्नर जनरल के मुख्य आयुक्त के द्वारा हस्तांतरित कर दी गई थी। इतना ही नहीं दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इस जवाब में ये भी कहा कि मौजूदा मामले में जिस मस्जिद की बात हो रही है वह 400 साल से भी अधिक समय से अस्तित्व में है।
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