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दूसरी महिला के साथ रहने पर पति को नहीं मिल सकता तलाक? कोर्ट ने दिया यह अहम फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि तलाक की कार्यवाही लंबित होने और लंबे समय तक अलग रहने के दौरान पति किसी अन्य महिला के साथ रह सकता है। इसे क्रूरता नहीं माना जाएगा।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Sep 16, 2023 8:56 IST, Updated : Sep 16, 2023 8:56 IST
दिल्ली हाई कोर्ट
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली हाई कोर्ट

तलाक से जुड़े पारिवारिक अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि तलाक की कार्यवाही लंबित होने और लंबे समय तक अलग रहने के दौरान पति किसी अन्य महिला के साथ रह सकता है। इसे क्रूरता नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि लेकिन पति-पत्नी के दोबारा मिलने की संभावना नहीं होनी चाहिए, तभी यह बात लागू होगी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला की याचिका खारिज कर दी है।

महिला ने दहेज उत्पीड़न का किया केस 

दरअसल, 2003 में एक दंपती शादी के बंधन में बंधे। यह शादी सिर्फ दो साल ही चली और 2005 में अलग-अलग रहने लगे। दोनों से दो बेटे भी हैं। पत्नी ने पति और परिवारवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया। पति का कहना है कि उसके साथ पत्नी ने क्रूरता की। उसने अपने भाई और रिश्तेदारों से उसे और उसके भाई को पिटवाया। मामला पारिवारिक अदालत पहुंचा तो दोनों का तलाक करवा दिया गया। इसके बाद महिला परिवारिक अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चली गई। उसने आरोप लगाया कि उसका पति दूसरी महिला के साथ रहता है।

"दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं थी" 

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे 2005 से अलग-अलग रह रहे थे और दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं थी। लंबे समय से मतभेद और पत्नी की ओर से की गई आपराधिक शिकायतों ने पति को परेशान कर दिया। 

पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखा

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने 13 सितंबर के एक आदेश में कहा कि इस तरह के लंबे समय तक मतभेदों और आपराधिक शिकायतों ने प्रतिवादी पति के जीवन को कष्टकारी बना दिया। वह वैवाहिक रिश्ते से भी वंचित हो गया। अलगाव के इतने सालों के बाद दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं होने के बाद प्रतिवादी पति को किसी अन्य महिला के साथ रहकर शांति और आराम मिल सकता है। उसे इस अधिकार से भी वंचित नहीं रखा जा सकता है। इसमें कहा गया कि पारिवारिक अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला कि पत्नी ने पति के साथ क्रूरता की और उसकी अपील खारिज कर दी।

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