नई दिल्ली। दिल्ली सरकार कर्मचारियों की सैलरी के लिए नगर निगम को 938 करोड़ रुपए देगी। सरकार ने अन्य योजनाओं से निकालकर इन 938 करोड़ रुपयों का इंतजाम किया है। राज्य सरकार के मुताबिक तीनों नगर निगमों को पूरी तरह दिवालिया बना दिया गया है। यही कारण है कि वेतन के लिए भी दिल्ली सरकार को राशि देनी पड़ रही है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने निगम कर्मचारियों से अपील की है कि वे इस राशि पर नजर रखें ताकि 938 करोड़ रुपए की यह रकम भी भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्रालय संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने कहा, "14 साल पहले एमसीडी की सत्ता में आई बीजेपी ने तीनों नगर निगमों को पूरी तरह दिवालिया बना दिया। इतनी बुरी तरह चूस लिया कि गुठली भी नहीं छोड़ी है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के बैंक खाते में मात्र 12 करोड़ रुपए बचे हैं जबकि पूर्वी नगर निगम के पास मात्र 99 लाख रुपये हैं।"
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, "एमसीडी पर दिल्ली सरकार का 6276 करोड़ रुपया बकाया है। एमसीडी को बीजेपी ने दिवालिया करके इतनी बड़ी राशि का कर्जदार बना दिया। अब नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के पैसे नही हैं। साफ-सफाई, बिल्डिंग नक्शे संबंधी काम के लायक भी नहीं रह गई है एमसीडी। सफाई कर्मियों, शिक्षकों, मेडिकल स्टाफ इत्यादि को तनख्वाह नहीं मिल रही है।"
उन्होंने कहा कि, "ऐसा भ्रष्ट नगर निगम देश में तो क्या, पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलता है। खुद बीजेपी के नेता मानते हैं कि एमसीडी में काफी भ्रष्टाचार है। यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा देश के अन्य सभी नगर निकायों को आर्थिक सहायता दी जाती है, जबकि दिल्ली नगर निगम को केंद्र सरकार द्वारा कोई राशि नहीं मिलती। आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, लेफ्ट या अन्य दलों के नेतृत्व वाले नगर निकायों को केंद्र से सहायता मिलती है, लेकिन बीजेपी शासित दिल्ली नगर निगम को केंद्र से एक भी पैसा नहीं मिलता।"
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम को केंद्र से 11500 करोड़ रुपये मिलने चाहिए। लेकिन केंद्र का मानना है कि इसे नहीं दे सकते। भ्रष्टाचार के कारण केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम को पैसे नहीं दे रही। दिल्ली सरकार के मुताबिक कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिलना काफी तकलीफ की बात है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "इनका दुख हमसे देखा नहीं जा रहा। इनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने काम किया है तो तनख्वाह मिलनी चाहिए। हालांकि दिल्ली सरकार के पास भी फंड की कमी है। हमारा जो राजस्व आता था वह मात्र 50 फीसदी आ रहा है। टैक्स के आधे पैसे आ रहे हैं। इसके कारण हमें काफी योजनाओं को रोकना पड़ा है। दिल्ली सरकार की कोई देनदारी नहीं होने के बावजूद कर्मचारियों की सैलरी के लिए 938 करोड़ दिए जा रहे हैं।"
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण मार्केट का भी बुरा हाल है। दिल्ली सरकार अपना काम मुश्किल से चला रही है। इसके बावजूद नगर निगम के कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए हमने अन्य योजनाओं को रोककर तथा अन्य विभागों की राशि काटकर किसी तरह 938 करोड़ रुपयों का इंतजाम किया है।