नई दिल्लीः दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से घोषित 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान' और संजीवनी योजना पर विवाद खड़ा हो गया है। संबंधित विभाग ने नोटिस जारी कर जनता को अगाह किया है कि ये योजनाएं अभी दिल्ली में आधिकारिक तौर पर लागू नहीं की गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने जनता को किया आगाह
एक सार्वजनिक नोटिस में दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने कहा है कि उन्हें मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली है कि एक राजनीतिक दल 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान' के तहत दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह देने का दावा कर रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने आज राष्ट्रीय समाचार पत्रों में जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि दिल्ली सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना अधिसूचित नहीं की गई है।
इस बात पर जोर दिया जाता है कि चूंकि ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, इसलिए इस गैर-मौजूद योजना के तहत पंजीकरण के लिए फॉर्म/आवेदन को स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता। कोई भी निजी व्यक्ति/राजनीतिक दल जो फॉर्म/आवेदन एकत्र कर रहा है या जानकारी एकत्र कर रहा है इस योजना के नाम पर आवेदक धोखाधड़ी कर रहे हैं और उनके पास कोई अधिकार नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग ने भी जारी किया नोटिस
वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से कहा गया है कि विभिन्न समाचार चैनलों/प्रिंट मीडिया के माध्यम से आया है कि दिल्ली के निवासियों के बीच "संजीवनी योजना" नामक एक कथित योजना का प्रचार किया जा रहा है, जिसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को दिल्ली के सभी अस्पतालों (सरकारी या निजी) में आय मानदंड की परवाह किए बिना फ्री उपचार प्रदान करने का दावा किया गया है।
इसके अलावा यह भी विभाग के संज्ञान में आया कि इस योजना के तहत भौतिक फॉर्म भरकर नामांकन कराने के लिए कुछ राजनीतिक दाधिकारियों/स्वयंसेवकों द्वारा पंजीकरण अभियान भी शुरू किया गया है। इसके साथ ही कथित पंजीकरण फॉर्म में वरिष्ठ नागरिकों का विवरण मांगा जा रहा है, जिसमें फोन नंबर, पता, आधार और बैंक खाते का विवरण शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा- मुफ्त दावे पर भरोसा न करें लोग
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि जनता को सूचित किया जाता है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास आज तक ऐसी कोई भी कथित "संजीवनी योजना" अस्तित्व में नहीं है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने न तो किसी स्वास्थ्य अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति को बुजुर्ग नागरिकों से ऐसी व्यक्तिगत जानकारी और डेटा एकत्र करने के लिए अधिकृत किया है, न ही विभाग इस संबंध में कोई कार्ड प्रदान कर रहा है।
इस बात पर जोर दिया जाता है कि चूंकि ऐसी कोई योजना मौजूद नहीं है, इसलिए ऐसी गैर-मौजूद योजना के तहत पंजीकरण के लिए - भौतिक फॉर्म आवेदन का सवाल ही नहीं उठता है और किसी भी निजी व्यक्ति/राजनीतिक दल द्वारा "संजीवनी योजना" के नाम पर ऐसे भौतिक फॉर्म आवेदन या आवेदकों से जानकारी एकत्र करना धोखाधड़ी और बिना किसी अधिकार के है। इसलिए कथित गैर-मौजूद "संजीवनी योजना" के तहत मुफ्त इलाज के किसी भी वादे पर विश्वास न करें।
इनपुट- एएनआई