Delhi: दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उपराज्यपाल(LG) वी के सक्सेना(VK Saxena) ने निर्वाचित सरकार के ‘आदेशों की अवहेलना करने के लोक सेवकों के रवैये’ को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय राजधानी में शासन को ‘‘पटरी से उतार’’ दिया है। AAP की सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में आरोप लगाया कि सक्सेना एकतरफा कार्यकारी निर्णय लेकर ‘‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में शासन की समानांतर प्रणाली चला रहे हैं।’’
दो अलग-अलग हलफनामे दायर किए गए
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया द्वारा दायर एफिडेविट में कहा गया "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार में सेवारत लोक सेवक निर्वाचित सरकार के प्रति उदासीन हो गए हैं। इसका परिणाम यह है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में दिक्कत आ रही है।" सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के कंट्रोल पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दे की सुनवाई कर रही है। उसके समक्ष दो अलग-अलग हलफनामे दायर किए गए।
पांच सदस्यीय पीठ के ये हैं अन्य सदस्य
AAP सरकार ने कहा कि इलेक्टेड सरकार की शक्तियों के असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक अतिक्रमण ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार के लिए शासन को चुनौतीपूर्ण और अनावश्यक रूप से कठिन बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को कहा था कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के कंट्रोल पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दे पर नौ नवंबर से दैनिक आधार पर सुनवाई करेगी। पांच सदस्यीय पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा हैं।