नई दिल्ली: कोरोना और महंगाई की दोहरी मार झेल रहे श्रमिक वर्ग को दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर राहत देने की कोशिश की है। अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और अन्य श्रमिकों को महंगाई भत्ता बढ़ने से राहत मिलने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार ने दावा किया कि यहां मजदूरों को मिलने वाला न्यूनतम वेतन देश के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है। साथ ही सरकार ने न्यूनतम वेतन बढ़ाने के साथ ही सभी को बढ़ी हुई दर के साथ भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है। इस बढ़ोतरी से तकरीबन 55 लाख कॉन्ट्रैक्चुअल श्रमिकों को फायदा पहुंचेगा।
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, महंगाई भत्ते के तहत अकुशल मजदूरों के मासिक वेतन को 15492 रुपये से बढ़ाकर 15908 रुपये , अर्ध कुशल श्रमिकों के मासिक वेतन को 17069 रुपये बढ़ाकर 17537 रुपये कुशल श्रमिकों के मासिक वेतन को 18,797 रुपये से बढ़कर 19291 रुपये किया गया है। इसके अलावा सुपरवाइजर और लिपिक वर्ग के कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी की दर बढ़ाई गई है। इनमें गैर मैट्रिक कर्मचारियों का मासिक वेतन 17069 से बढ़ाकर 17537 रुपये, मैट्रिक लेकिन गैर स्नातक कर्मचारियों का मासिक वेतन 18797 से बढ़ाकर 19291 रुपये तथा स्नातक और इससे अधिक शैक्षणिक योग्यता वाले मजदूरों का मासिक वेतन 20430 से बढ़ाकर 20976 रुपये कर दिया गया है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि गरीब और मजदूर वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए कोरोना महामारी के दौरान यह बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बढ़ोत्तरी का लाभ लिपिक और सुपरवाइजर वर्ग के कर्मचारियों को भी मिलेगा। सिसोदिया ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के ऐसे श्रमिकों को महंगाई भत्ते पर रोक नहीं लगाई जा सकती है, जिन्हें आमतौर केवल न्यूनतम मजदूरी मिलती है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि हम सरकार के कई खर्चों में कटौती कर रहे है लेकिन मजदूरों के हित का ध्यान रखते हुए हमने उनका महंगाई भत्ता बढ़ाने का निर्णय लिया है।