Highlights
- एक महीने में सरकार ने कमाए करोड़ों रुपए
- इसी महीने लागू हुई थी पुरानी शराब नीति
- आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकती है शराब की मांग
Delhi: दिल्ली में शराब नीति विवाद का जिन्न अभी शांत नहीं हुआ है। मामले में हर रोज कोई न कोई नया खुलासा होता है। भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर हर रोज एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं। मामले में सीबीआई और ED का जांच चल रही है। इसी मामले में लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
एक महीने में सरकार ने कमाए करोड़ों रुपए
राज्य में शराब नीति पर विवाद के बाद एक सितंबर को पुरानी आबकारी नीति लागू की गई थी। इसके तहत मात्र 25 दिनों में ही ढाई करोड़ बोतलें बिक गईं थीं। जानकारी के अनुसार, सितंबर में दिल्ली में शराब की 500 से अधिक सरकारी दुकानें खोली गईं। वहीं अब खबर आई है कि दिल्ली सरकार को पुरानी शराब नीति से एक महीने में लगभग 768 करोड़ रुपए की कमी हुई है।
ये हुआ था आबकारी नीति में बदलाव
दिल्ली में 31 अगस्त तक नई आबकारी नीति लागू थी, यानी निजी दुकानों से शराब की बिक्री 31 अगस्त तक की गई। इसके बाद इस महीने की शुरुआत से पुरानी आबकारी नीति लागू कर दी गई, इसके तहत सरकारी दुकान से ही शराब बेचे जाने का प्रावधान किया गया।
आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकती है मांग
एक अनुमान के मुताबिक, सितंबर महीने में दिल्ली में लगभग 3 करोड़ बोतलें शराब की बिक्री हुई है। इससे सरकार को 768 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई है। दिल्ली में अमूमन 15 लाख के करीब शराब की बोतलें रोज बिकती हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में डिमांड बढ़ने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। इस बारे में शराब कारोबारियों का कहना है कि आने वाले त्योहारी मौसम में खासतौर पर दिवाली के त्योहार के दौराना बिक्री में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।