Highlights
- गुजरात को मुफ्त बिजली गारंटी खूब पसंद आ रही है: केजरीवाल
- 'केंद्र सरकार टैक्स बढ़ाकर लोगों का खून चूस रही है'
- LG ने चीफ सेक्रेटरी को मामले में जांच करने को कहा है
Delhi Free Electricity Scheme: दिल्ली के उपराज्यपाल के वी के सक्सेना द्वारा बिजली सब्सिडी पर जांच के आदेश देने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बयान सामने आया है। AAP के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि गुजरात के लोगों को फ्री बिजली का विचार खूब पसंद आ रहा है, जिसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी राजधानी में बिजली की सब्सिडी योजना को रोकना चाहती है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘गुजरात को ‘आप’ की फ्री बिजली गारंटी खूब पसंद आ रही है, इसलिए भाजपा दिल्ली में फ्री बिजली रोकना चाहती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के लोगों, भरोसा रखना। मैं आपकी फ्री बिजली किसी हालत में नहीं रुकने दूंगा।’’
सरकार बनते ही मिलेगी मुफ्त बिजली
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘गुजरात के लोगों, आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकार बनने पर एक मार्च से आपकी भी बिजली फ्री होगी।’’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘आपने हर चीज पर इतना टैक्स लगा दिया। इतनी ज्यादा महंगाई कर दी और लोगों का खून चूस रहे हो। ऐसे में अगर मैं अपने लोगों को बिजली फ्री करके उन्हें थोड़ी राहत देता हूं, तो वो भी आपसे बर्दाश्त नहीं होता? यह भी आप रोकना चाहते हो? ये मैं किसी हालत में नहीं होने दूंगा।’’
बिजली सब्सिडी भुगतान में गड़बड़ी के लगे हैं आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी तब आई है जब दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से बिजली सब्सिडी के भुगतान का क्रियान्वयन कथित रूप से नहीं होने की जांच करने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं। LG वीके सक्सेना ने कहा है कि 2018 के DERC दिल्ली बिजली विनियामक आयोग के आर्डर के बाद भी बिजली सब्सिडी ग्रहकों के खाते में सीधे क्यों नहीं दिया जा रहा है? बिजली कंपनी को सीधे सब्सिडी क्यों दिया जा रहा है?
बता दें कि, दिल्ली सरकार बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर बिजली देती है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाती है तो महीने में 201 से 400 यूनिट तक बिजली खपत पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है। उपभोक्ताओं की बजाय सरकार बिजली कंपनियों को सरकारी खजाने से इस बिल का भुगतान करती है। एलजी कार्यालय के अधिकारियों से दी गई जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों, न्यायविद और कानूनी पेशेवरों ने बिजली कंपनियों को सब्सिडी भुगतान में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।