नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने मोबाइल बैंकिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो जामताड़ा से ऑपरेट होता था। ये गैंग इतना शातिर है कि लोगों को अपने झांसे में लाने के लिए फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन भी देता था।
जब लोगों को इस विज्ञापन को देखकर भरोसा हो जाता था तो वह विज्ञापन के लिंक पर क्लिक करते थे। जैसे ही कोई दिए गए नंबर पर फोन करते थे, तो उनका कनेक्शन सीधा इस गैंग के सदस्यों से हो जाता था। इसके बाद गैंग के सदस्य पीड़ितों को अपने झांसे में लेते थे और उनके फोन में एनीडेस्क नाम का एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवाते थे। इसके बाद लोगों से उनकी डिटेल मांगी जाती थी।
डिटेल के बाद जब पीड़ित के पास ओटीपी जाता था तो यह लोग पीड़ित को कॉन्फिडेंस में लेकर उसका ओटीपी नंबर ले लेते थे। इसके बाद लोगों के बैंक से लाखों रुपए निकल जाते थे। ये मामला तब खुला जब दुबई से एक शख्स भारत आया। उसका इस गैंग से ऐसे ही संपर्क हुआ और इस गैंग के लोगों ने उस शख्स के बैंक खाते से 10 लाख रुपए निकाल लिए।
दिल्ली पुलिस जब इस गैंग के सदस्यों को पकड़ने के लिए जामताड़ा पहुंची तो पुलिस को इस गैंग के सदस्यों के पास से 21 हजार से ज्यादा प्री एक्टिवेटेड सिम मिलीं। इनमें से 700 से ज्यादा सिमें भूटान, नेपाल, यूएई और दुबई की थीं।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, यह गैंग फ्री एक्टिवेटेड सिमों के लिए भी लोगों को धोखा देते थे। पुलिस का कहना है कि जब जामताड़ा या उसके आसपास के रहने वाले लोग इस गैंग के उस सदस्य के पास जाते थे, जो मोबाइल सिम का काम करता है तो यह गैंग लोगों को सिम तो दिया करता था लेकिन जो लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते थे, उनके बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट ले लिया करता था। इसके बाद उन पीड़ितों के नाम पर सिम एक्टिवेट करा लिया जाता था। इस मामले में सिम डीलर समेत 6 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
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