नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के बाद दिल्ली में भी कांवड़ यात्रा (Delhi cancels Kanwar Yatra 2021) पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने रविवार को दिल्ली में कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। कोविड के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने दिल्ली में कांवड़ यात्रा के आयोजन को रद्द कर दिया है।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने रविवार को शहर में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए वार्षिक कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी। डीडीएमए द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, ''25 जुलाई से दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शुरू होने वाली आगामी कांवड़ यात्रा-2021 के दौरान किसी भी समारोह, जुलूस, सभा आदि की अनुमति नहीं दी जाएगी।'' डीडीएमए का आदेश उत्तर प्रदेश में यात्रा रद्द होने के एक दिन बाद आया है।
यात्रा आमतौर पर अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है और हजारों शिव भक्तों को 'कांवड़िया' कहा जाता है, जो उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा से जल लेने के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से पैदल यात्रा करते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सरकारों को कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए हर कदम उठाना चाहिए।
डीडीएमए के पिछले आदेश के अनुसार, 26 जुलाई तक दिल्ली में धार्मिक और त्योहारी सहित सभी प्रकार की सभाओं पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही मंदिरों सहित धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति है, लेकिन श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी है। उत्तराखंड सरकार ने इस साल 25 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक यात्रा पर रोक लगा दी है।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और डीडीएमए की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष विजय देव द्वारा जारी आदेश के अनुसार यात्रा के दौरान सभाओं, जुलूसों की ''आशंका'' है और इसलिए कोविड-19 स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि दिल्ली में कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। प्राधिकरण ने दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस उपायुक्तों और अन्य संबंधित अधिकारियों को आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष नहीं निकलेगी कांवड़ यात्रा
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में इस वर्ष कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई है। अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने शनिवार को बताया कि राज्य सरकार की अपील के बाद कांवड़ संघों ने यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया। कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी थी। दरअसल कांवड़ यात्रा स्थगित करने का यह फैसला उच्चतम न्यायालय के निर्देश के एक दिन बाद आया है। उच्चतम न्यायालय ने बीते शुक्रवार को कहा कि धार्मिक सहित सभी भावनाएं जीवन के अधिकार के अधीन हैं, साथ ही न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को 19 जुलाई तक उसे यह सूचित करने के लिए कहा कि क्या वह राज्य में “सांकेतिक” कांवड़ यात्रा आयोजित करने के अपने फैसले पर फिर से विचार करेगी।
गौरतलब है कि, हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण के महीने की शुरुआत के साथ शुरू होने वाली पखवाड़े की यात्रा अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है और उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से हरिद्वार में कांवड़ियों का एक बड़ा जमावड़ा होता है। पिछले साल कांवड़ संघों ने सरकार के साथ बातचीत के बाद खुद ही यात्रा स्थगित कर दी थी।
गौरतलब है कि केंद्र ने न्यायालय से कहा था कि राज्य सरकारों को महामारी के मद्देनजर कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं देनी चाहिए और टैंकरों के जरिए गंगा जल की व्यवस्था निर्दिष्ट स्थानों पर की जानी चाहिए। उत्तराखंड सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस वार्षिक यात्रा को रद्द कर दिया था जिसमें हजारों शिव भक्त पैदल चलकर गंगाजल लेने जाते हैं और फिर अपने कस्बों, गांवों को लौटते हैं।
कोविड-19 महामारी के चलते उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा स्थगित
कुंभ में हुई फजीहत से सीख लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी कांवड़ यात्रा 2021 को स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य सचिवालय में कांवड़ यात्रा के संबंध में हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री धामी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हरिद्वार को हम कोरोना वायरस महामारी का केंद्र नहीं बनाना चाहते और लोगों का जीवन हमारे लिए प्राथमिकता है जिससे हम खिलवाड़ नहीं कर सकते।’’ धामी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से बातचीत करने के बाद यह निर्णय किया गया है।