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दिल्ली: कोर्ट ने DCW की चीफ के खिलाफ आरोप तय किए, 2016 में हुआ था मामला दर्ज

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली महिला आयोग (DCW) की चीफ स्वाति मालीवाल और तीन अन्य के खिलाफ करप्श और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने के तहत आरोप तय किए।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: December 09, 2022 16:52 IST
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल(फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : FILE दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल(फाइल फोटो)

दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली महिला आयोग (DCW) की चीफ स्वाति मालीवाल और तीन अन्य के खिलाफ आरोप तय किए। कोर्ट ने यह आरोप उनके( स्वाति मालीवाल और तीन अन्य) द्वारा अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने और करप्शन और आपराधिक साजिश के तहत तय किए। जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी नेता और DCW की पूर्व अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह द्वारा 2016 में एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) में शिकायत दर्ज कराने के बाद मामला दर्ज किया गया था। जानकारी के मुताबिक दर्ज शिकायत के आधार पर शुरू में जांच हुई और बाद में एफआईआर(FIR) दर्ज की गई।

'भर्ती में नियमों का किया गया उल्लंघन'

राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज डीजी विनय सिंह ने डीसीडब्ल्यू चीफ स्वाति मालीवाल, प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता(IPC) की धारा 120बी और अन्य अपराधों के लिए धारा 13(1)(डी), 13(1) (2) और 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम(Prevention of Corruption Act) के तहत आरोप तय किए। अदातल ने कहा, "उपरोक्त तथ्य एक मजबूत संदेह पैदा करते हैं कि आरोपी व्यक्तियों के आक्षेपित कार्यकाल के दौरान विभिन्न पदों पर विभिन्न पारिश्रमिक के लिए मनमाना तरीके से भर्ती की गई थी, जिसमें सभी नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया गया था। जिसमें प्रियजनों को नियुक्त किया गया था और सरकारी खजाने से उन्हें पारिश्रमिक दिया गया था।"

'भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देना भी करप्शन का एक रूप है'

अदालत ने कहा, "उपरोक्त चर्चा से भी प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि ज्यादातर नियुक्तियां आरोपी व्यक्तियों/AAP पार्टी के प्रिय लोगों को दी गई थीं। इस प्रकार, अभियुक्त व्यक्तियों द्वारा यह दावा नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने अन्य व्यक्तियों के लिए वित्तीय प्रॉफिट प्राप्त करने के लिए अपनी स्थिति का दुरुपयोग नहीं किया है, अर्थात नियुक्त व्यक्ति, या यह कि प्रथमदृष्टया कोई बेईमानी का इरादा नहीं था।"

अभियोजन पक्ष द्वारा यह दावा किया गया है कि AAP कार्यकर्ताओं और परिचितों को DCW के विभिन्न पदों पर नियत प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त करके योग्य उम्मीदवारों के वैध अधिकार का उल्लंघन किया है। जज सिंह ने कहा, "इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि प्रियजनों और भाई-भतीजावाद के हित को बढ़ावा देना भी करप्शन का एक रूप है।"

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