दिल्ली जल बोर्ड में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है। इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड का CAG से ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। केजरीवाल सरकार पिछले 15 साल का CAG ऑडिट कराएगी। जल बोर्ड में अनियमितताओं के सवाल उठाए गए थे।
15 साल के रिकॉर्ड का ऑडिट कराने का निर्देश
सरकारी सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले 15 साल के रिकॉर्ड का ऑडिट कराया जाएगा। एक सूत्र ने कहा, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है।" बीजेपी और आप के बीच दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं को लेकर पिछले महीने से खींचतान चल रही है।
डीजेबी में 3,735 करोड़ का घोटाला होने का आरोप
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने 2017 से लेखा संबंधी कथित गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए 'आप' सरकार के तहत दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में 3,735 करोड़ रुपये का घोटाला होने का आरोप लगाया है। इन आरोपों को लेकर पलटवार करते हुए आप ने कहा कि बीजेपी अपने स्वभाव के अनुरूप दिल्लीवासियों की प्रगति को बाधित करने का नया तरीका लेकर आई है। ‘आप’ ने एक बयान में कहा, ‘‘एक केंद्रीय मंत्री द्वारा अपने लोगों के प्रति समर्पित एक ‘ईमानदार’ सरकार के खिलाफ इस तरह के मनगढ़ंत आक्षेप लगाया जाना उचित नहीं है।’’
पानी टैंकर माफिया अब भी मौजूद हैं: मीनाक्षी लेखी
मीनाक्षी लेखी ने बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान आरोप लगाया कि 600 करोड़ रुपये के 12,000 कार्य आदेशों के लिए प्रत्येक आदेश का मूल्य पांच लाख रुपये से कम रखकर निविदा जारी करने से बचा गया। सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस घोटाले की जांच CBI और ED को सौंपनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो बीजेपी उपराज्यपाल से ऐसा करने का आग्रह करेगी। लेखी ने आरोप लगाया कि ‘आप’ और केजरीवाल आरोप लगाते थे कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पानी टैंकर माफिया मौजूद थे, लेकिन वे अब भी मौजूद हैं।
2017 से खातों का हिसाब नहीं रखा गया: केंद्रीय मंत्री
उन्होंने कहा, ‘‘2017 से खातों का हिसाब नहीं रखा गया और वे विवरण छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। बही-खातों से 1,601 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब गायब है और डीजेबी के वित्तीय विवरण और बैंक समाधान विवरण के बीच 1,167 करोड़ रुपये का अंतर है। साथ ही 135 करोड़ रुपये की सावधि जमा का भी कोई पता नहीं है।’’ लेखी ने आरोप लगाया कि वित्तीय लेखांकन से जुड़ी अनियमितताओं, समायोजन और पुन: समायोजन, गायब सावधि जमा और इसी तरह की गड़बड़ियों से ‘‘विभिन्न मदों के तहत 3,735 करोड़ रुपये का घोटाला’’ हुआ।