तवांग में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में और तल्खी आ गई है। चीन के रिश्तों में आई इस कटुता के बाद चैंबर्स आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री यानी सीटीआई ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए दिल्ली में एक बैठक बुलाई है। इस बैठक को महापंचायत का नाम दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल का दावा है कि इस महापंचायत में दिल्ली के सभी कारोबारी और इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। इसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि किस तरह से चीनी उत्पादों का राजधानी के व्यापारी बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार राजधानी में ही चीन के उत्पादों का करीब 50 हजार करोड़ रुपए सालाना का कारोबार है।
अब हम व्यापारियों को इस बात के लिए जागरुक करेंगे कि वो चीन में बने प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करें। दरअसल, हाल ही में तवांग में भारत और चीन सेना के बीच हुई झड़प के बाद से ही भारत में चीन को लेकर काफी विरोध है। इसी बीच सीटीआई भी वहां के उत्पादों का विरोध कर रही है। इसे लेकर दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किया गया है।
वहीं आम आदमी पार्टी 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
केजरीवाल ने पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कहा था कि बॉर्डर चीन काफी आक्रामक हो रहा है। जबकि केंद्र की बीजेपी सरकार इस संबंध में कहती है कि सबकुछ ठीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन को सजा देने के बजाय वहां से बड़ी मात्रा में आयात किया जा रहा है। इस तरह वहां से आयात कराकर उन्हें ही इनाम दिया जा रहा है। जबकि भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं और अपनी जान तक दे देते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने सभी देशवासियों से भी चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम सस्ते होने पर भी चीनी उत्पाद नहीं चाहते हैं। हम भारत में बने उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार हैं। भले ही इसकी हमें दोगुनी कीमत चुकानी पड़े।