मटिया महल: दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने तारीख का ऐलान कर दिया है। दिल्ली में 70 सीटों की विधानसभा के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को इसके नतीजे आएंगे। दिल्ली में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। यहां हम आपको दिल्ली की मटिया महल सीट के बारे में बता रहे हैं।
मटिया महल निर्वाचन क्षेत्र चांदनी चौक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह दिल्ली की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2020 में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी।
मटिया महल सीट पर मुख्य मुकाबला किसके बीच?
मटिया महल में भाजपा ने मात्र एक बार वर्ष 1983 में खाता खोला था। मौजूदा समय में इस पर आप का कब्जा है। इसके पहले ये कांग्रेस पार्टी की कब्जे में थी। इस बार मटिया महल से मौजूदा विधायक शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल को आप ने टिकट देते हुए विरासत पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने इस बार असीम अहमद खान को मैदान में उतारा है। वहीं, बीजेपी ने अभी तक इस सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
2020 में क्या थे नतीजे?
साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मटिया महल में कुल 75.96 प्रतिशत वोट पड़े थे। आम आदमी पार्टी से शोएब इकबाल ने भारतीय जनता पार्टी के रवीन्द्र गुप्ता को 50241 वोटों के मार्जिन से हराया था। शोएब इकबाल को 67,282 वोट मिले थे जबकि भाजपा के रविंद्र गुप्ता को 17,041 वोट ही मिले थे। कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली 3,409 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।
2015 में क्या थे नतीजे?
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के असीम अहमद खान 47,584 वोट हासिल करके इस सीट पर जीते थे। कांग्रेस के शोएब इकबाल 21,488 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, 9,105 वोटों के साथ बीजेपी के शकील अंजुम तीसरे नंबर पर थे।
मटिया महल का क्या है इतिहास?
दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा में मौजूद मटिया महल विधानसभा सीट पर हर बार मुकाबला दिलचस्प रहा है। इस सीट पर कई छोटे बड़े व्यापारिक दुकानें हैं। इस सीट पर सबसे अहम भूमिका मुस्लिम मतदाता निभाते हैं। मटिया महल विधानसभा सीट में अजमेरी गेट, लालकुआं, जामा मस्जिद, मिंटो रोड, डीडीयू मार्ग, टैगोर रोड, सीताराम बाजार और चावडी बाजार के इलाकें आते हैं।
मटिया महल सीट के नजदीक व्यापारिक केंद्र काफी हैं। यह इलाका जामा मस्जिद के आसपास है और इन इलाकों में वैश्य समुदाय के वॉटर्स अच्छी संख्या में हैं। यह विधानसभा सीट दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल सीट है और सबसे रोचक बात ये है कि पिछले 35 सालों से अधिक से इस सीट पर कोई भी गैर मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है। इस सीट की एक और सबसे रोचक बात यह है कि यहां अब तक 10 बार में से पांच बार ऐसी पार्टी चुनाव जीती है जिसका दिल्ली में कोई जनाधार ही नहीं रहा है।