Highlights
- दिल्ली की आज की एयर क्वालिटी 362 दर्ज की गई है।
- सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली में 21 नवंबर तक कंस्ट्रक्शन पर रोक।
- सरकारी दफ्तरों में 50% वर्क फ्रॉम होम।
नई दिल्ली: दिवाली बीते 14 दिन हो गए लेकिन दिल्ली-एनसीआर की हवा आज भी बेहद खराब श्रेणी में है इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त ऐतराज जताया है। दिल्ली की आज की वायु गुणवत्ता 362 दर्ज की गई है। ये बुधवार के 386 के मुकाबले 24 प्वाइंट कम है, लेकिन अब भी दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में है, यानी सांस लेने के लिए अब भी खतरनाक। इसी तरह हल्की गिरावट गुरुग्राम के भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में दर्ज की गई है, लेकिन 334 AQI के साथ ये भी बेहद खराब कैटेगरी में है। सबसे ज्यादा खराब हालत है नोएडा की, जहां आज सुबह AQI 454 दर्ज किया गया ये कैटेगरी बेहद गंभीर मानी जाती है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली में 21 नवंबर तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है और सरकारी दफ्तरों में 50% वर्क फ्रॉम होम कर दिया गया है।
NCR की हवा आज कैसी है?
- दिल्ली का AQI 362, कैटेगरी- बहुत खराब
- गुरुग्राम का AQI 334, कैटेगरी- बहुत खराब
- नोएडा का AQI 454, कैटेगरी- बेहद गंभीर
दिल्ली एनसीआर में जारी प्रदूषण की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार कुछ हरकत में दिखी। प्रदूषण पर लगाम लगाने के कुछ और उपाय किए गए। दिल्ली में बीती रात से ही पुलिस गश्त लगाती दिखी। कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में ट्रक और भारी वाहनों की एंट्री बंद कर दी गई है सिर्फ जरूरी सामान से लदी गाड़ियों को ही दिल्ली के अंदर आने की इजाजत दी जा रही है। उधर गाजियाबाद में भी फायर ब्रिगेड की टीम पानी का छिड़काव कर रही है तो नोएडा में एक स्मॉग टावर की शुरुआत की गई है। इन उपायों से प्रदूषण कितना कम होगा ये तो देखने वाली बात है। फिलहाल मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में तेज हवा 21 नवंबर तक नहीं चलने वाली है, यानी तब तक खतरा बरकरार है।
केन्द्र, राज्य सरकारों को 'सुप्रीम' फटकार
पॉल्यूशन पर केंद्र और राज्यों के रुख को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी चिंता तो जाहिर की है साथ ही केंद्र और राज्यों के रुख को लेकर नाराजगी भी जाहिर की। सुनवाई शुरु होते ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फिर से फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोग मुद्दे को भटका रहे हैं, आपात संकट को सुलझाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी नजर आ रही है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि आखिर पाबंदी के बाद पटाखे क्यों जले। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ बैठकों पर बैठकें हो रही हैं। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि नौकरशाह फैसला लेने से बच रहे हैं वो सिर्फ कोर्ट के आदेश का इंतजार करते नौकरशाही सुस्त है और सिर्फ हमारे फैसले पर दस्तखत करने का इंतजार कर रही है। नौकरशाह चाहते हैं कि कोर्ट उन्हें बताए कि आग कैसे बुझाएं, कैसे बाल्टी उठाएं। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि हम मौसम के सुधरने और धुएं के छंटने का इंतजार नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को करेगा।