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दिल्ली में जनरेटर का इस्तेमाल करना सख्त नियमों के दायरे में आया, जानें क्या है नए दिशा-निर्देश

केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक नया दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 15 मई के बाद 800 किलोवाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब दोहरे ईंधन यानी गैस और डीजल दोनों से चलते हों।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Feb 12, 2023 23:31 IST, Updated : Feb 12, 2023 23:31 IST
प्रतीकात्मक फोटो
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए जनरेटर इस्तेमाल पर सख्त शर्तें लगा दी हैं। नए नियम के तहत 800 किलो वाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब वह जनरेटर गैस और डीजल दोनों से चलते हो। यह नया नियम दिल्ली में 15 मई के बाद से लागू हो जाएगा।

गौरतलब है कि डीजल जनरेटर सेट से बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण होता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारणों में एक बड़ा कारण डीजल जनरेटर सेट का बड़ी तादात में इस्तेमाल होना भी है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक नया दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 15 मई के बाद 800 किलोवाट तक के जनरेटर को औद्योगिक व व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तभी इजाजत दी जाएगी, जब दोहरे ईंधन यानी गैस और डीजल दोनों से चलते हों।

ग्रेप लागू होने के समय पहले की तरह ही प्रतिबंध

दिल्ली में अब गैस और डीजल दोनों से चलने वाले जनरेटर को ही इजाजत मिलेगी, जबकि ग्रेप लागू होने के समय इन पर पहले की तरह ही प्रतिबंध लागू रहेंगे। राजधानी दिल्ली में ठंड के समय जब ग्रेप लागू होता है, तब डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी होती है, क्योंकि डीजल जनरेटर सेट बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषण करते हैं। दोहरे ईंधन से चलने वाले जनरेटर सेट को आयोग ने जो इजाजत दी है, उसमें दोहरे ईंधन से आशय 70 फीसदी गैस और 30 फीसदी डीजल से चलने वाले जनरेटर से है। 

इस्तेमाल प्रदूषण के लिहाज से चिंता की वजह

आयोग की ओर से जो नया दिशा-निर्देश जारी हुआ है उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि डीजी सेट का अनियंत्रित इस्तेमाल प्रदूषण के लिहाज से चिंता की वजह है। आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि ग्रेप के अलावा भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल होने वाले डीजी सेट और इनसे निकलने वाले उत्सर्जन पर अगर नियंत्रण के उपाय नहीं किए जाते हैं, तो उनमें भारी प्रदूषण होता है।

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