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जामिया हिंसा मामले में एसपीपी को फाइल सौंपने में हुई देरी पर पुलिस से कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण

सहायक सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शनिवार को पारित एक आदेश में कहा, ''इस आदेश की एक प्रति संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), अपराध शाखा को यह स्पष्टीकरण देने के लिए भेजी जाए कि एसपीपी की नियुक्ति के बावजूद फाइल उनके संज्ञान में क्यों नहीं लाई गई। सुनवाई की अगली तारीख को रिपोर्ट दाखिल की जाए।''

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Nov 27, 2022 23:41 IST, Updated : Nov 27, 2022 23:41 IST
जामिया हिंसा मामले में हुई सुनवाई
Image Source : फाइल फोटो जामिया हिंसा मामले में हुई सुनवाई

दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा की घटनाओं से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही एक अदालत ने मामले की फाइल को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के संज्ञान में नहीं लाने पर दिल्ली पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है। दिल्ली पुलिस ने संबंधित फाइल को एसपीपी के पास जमा कराने के लिए अदालत से समय मांगा था। अदालत जामिया नगर पुलिस थाने द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज मामले में आरोप तय करने पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें दंगा, गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास और आपराधिक साजिश शामिल है। इस मामले के आरोपियों में शरजील इमाम, सफूरा जरगर, मोहम्मद इलियास, बिलाल नदीम, शहजर रजा खान, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, उमैर अहमद, चंदा यादव और अबुजार शामिल हैं। 

फाइल संज्ञान में क्यों नहीं लाई गई?

सहायक सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शनिवार को पारित एक आदेश में कहा, ''इस आदेश की एक प्रति संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), अपराध शाखा को यह स्पष्टीकरण देने के लिए भेजी जाए कि एसपीपी की नियुक्ति के बावजूद फाइल उनके संज्ञान में क्यों नहीं लाई गई। सुनवाई की अगली तारीख को रिपोर्ट दाखिल की जाए।'' अदालत ने कहा कि विशेष लोक अभियोजक मधुकर पांडे पहली बार इस मामले में पेश हो रहे हैं और चूंकि मामले की फाइल हाल ही में उन्हें सौंपी गई है, इसलिए उन्होंने अपनी दलीलें तैयार करने के लिए स्थगन की मांग की। 

मामला 2019 से लंबित है

अदालत ने कहा, ''यह ध्यान रखना उचित है कि मामला 2019 से लंबित है, और एसपीपी को 26 जून, 2021 से नियुक्त किया गया है। लेकिन, जांच अधिकारी या सहायक पुलिस आयुक्त और पुलिस उपायुक्त ने मामला एसपीपी के संज्ञान में नहीं लाया, जिसके कारण उन्होंने बहस के लिए कुछ समय मांगा है।'' अदालत ने डीसीपी राजेंद्र प्रसाद मीणा को 13 दिसंबर को अगली सुनवाई में एसपीपी की सहायता के लिए उपस्थित रहने के लिए भी नोटिस जारी किया। 

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