दिल्ली की एक अदालत ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की दिल्ली यूनिट के प्रमुख परवेज अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। परवेज अहमद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नकद चंदे की आड़ में धनशोधन में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। अहमद ने अपनी याचिका में दलील दी कि उसकी लगातार कैद अवांछित है और मुकदमे की सुनवाई शीघ्र पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। लेकिन अदालत ने परवेज अहमद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
जमानत के खिलाफ कोर्ट में दी गई ये दलील
इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंद्रजीत ने मौजूद सबूतों का संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘आरोपी पीएमएलए की धारा 45 में निर्धारित शर्तों का पालन नहीं कर सका है। इसलिए, वर्तमान जमानत याचिका को खारिज किया जाता है।’’ विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा और वकील मोहम्मद फैजान ईडी की ओर से पेश हुए। वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए रेखांकित किया कि आरोपी "जांच को गुमराह करने और धनशोधन के अपराध में अपनी भूमिका को छिपाने का जानबूझकर प्रयास कर रहा था।’’ अदालत ने जमानत के लिए अहमद की दलील खारिज करते कहा, "क्या याचिकाकर्ता (अहमद) जानता था या नहीं जानता था कि वह अपराध की आय का लेनदेन कर रहा है।"
सितंबर में किए गए थे तीनों आरोपी गिरफ्तार
अदालत ने 18 मार्च को पारित आदेश में यह भी कहा कि आरोपी को पीएमएलए के तहत उत्तरदायी ठहराने के लिए उससे नकदी की बरामदगी की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने पीएफआई महासचिव मोहम्मद इलियास और कार्यालय सचिव अब्दुल मुकीत सहित पीएफआई के अन्य गिरफ्तार पदाधिकारियों की जमानत पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। एजेंसी ने तीनों आरोपियों को 22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया था।
धारा 45 के तहत इस शर्त पर मिलती है जमानत
धारा 45 के तहत दो शर्तों के अनुसार जब धनशोधन मामले में कोई आरोपी जमानत के लिए आवेदन करता है, तो अदालत को पहले सरकारी वकील को सुनवाई का मौका देना होगा और जब वह संतुष्ट हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और रिहा होने पर वैसा ही कोई अन्य अपराध किये जाने की आशंका नहीं है, तब उसे जमानत दी जा सकती है।
ये भी पढ़ें-
- जीजा-साली के प्रेम प्रसंग में गई पति की जान, जहर देकर हत्या का आरोप
- अवैध संबंधों से जन्मे 3 साल के मासूम को मौत के घाट उतारा, फिर चश्मदीद की भी कर दी हत्या