नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शहर के उत्तर पूर्वी हिस्से में फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की न्यायिक हिरासत बुधवार को 14 दिन के लिए बढ़ा दी। अदालत ने खालिद को हिरासत को और बढ़ाने का आग्रह करने वाली पुलिस की याचिका का विरोध करने का मौका देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर आरोपी के वकील को लगता है कि उसे और हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है तो वह जमानत की अर्जी दायर कर सकता है, जिसे अदालत सुन सकती है।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने कहा कि फिर से गिरफ्तार करने के समय आरोपी और उसका वकील मुल्ज़िम को न्यायिक या पुलिस हिरासत में भेजे जाने के जांच अधिकारी के आवेदन का विरोध कर सकते हैं। अदालत ने खालिद की न्यायिक हिरासत की अवधि 16 दिसंबर तक बढ़ा दी और कहा कि हिरासत बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। अदालत ने खालिद के वकील के उस आग्रह को खारिज कर दिया, जिसमें हिरासत आवेदन का विरोध करने की इजाजत मांगी गई थी, क्योंकि अदालत के समक्ष जमानत की कोई अर्जी दायर नहीं की गई है।
अदालत ने कहा कि आरोपी के वकील को सुनने और जब भी हिरासत बढ़ाई जानी है तब उन्हें हिरासत आवेदन का विरोध करने का मौका देने की गुंजाइश नहीं है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, “ इस बात में कोई संदेह नहीं है कि किसी आरोपी की हिरासत को ऐसे ही नहीं बढ़ाना चाहिए। खालिद को खजूरी खास इलाके में दंगों के संबंध में एक अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। उसे दंगों की कथित “बड़ी साजिश“ से संबंधित मामले में सितंबर में गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि, उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 के अंत में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़पों ने सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया था, जिनमें 53 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों जख्मी हुए थे।