दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। यह मामला ओखला इलाके में कथित तौर पर मौजूदा आप विधायक अमानतुल्लाह के कहने पर 36 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदने से संबंधित है। ईडी द्वारा तलब किए जाने के बाद विधायक ने वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
तीन आरोपियों की जमानत याचिका पहले ही चुकी है खारिज
इससे पहले अदालत ने तीन अन्य आरोपियों- जीशान हैदर, दाउद नासिर और जावेद इमाम सिद्दीकी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। क़ौसर इमाम सिद्दीकी सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। विशेष न्यायाधीश राकेश सयाल ने ईडी और आप विधायक के वकीलों की दलीलों पर विचार करने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पहले 24 फरवरी को कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अमानत उल्लाह खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अधिवक्ता रजत भारद्वाज के साथ जमानत अर्जी पर बहस की थी।
वकील ने दी ये दलील
वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि ईडी ने 2016 में दर्ज की गई सीबीआई की एफआईआर के 8 साल (7 साल 7 महीने) बाद ईसीआईआर दर्ज की। आरोप लगाया गया कि 100 करोड़ रुपये की वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से पट्टे पर दिया गया था और अमानतुल्लाह खान की अध्यक्ष रहने के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियमों का उल्लंघन करते हुए 32 संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में निष्कर्ष निकाला है कि संपत्तियों को पट्टे पर देना प्रशासनिक अनियमितताओं के समान है, साथ ही यह भी कहा कि अपराध से कोई आय नहीं हुई। सरकारी खजाने को अनुचित लाभ और हानि नहीं हुई।