Highlights
- दिल्ली में 6 हजार 360 एक्टिव केस हैं
- आज 3,100 नए केस सामने आ सकते हैं- केजरीवाल
- अस्पतालों में सिर्फ 82 ऑक्सीजन बेड्स भरे हुए हैं
देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बीते 24 घंटे में देशभर में 27 हजार 553 नए कोरोना के मामलों की पुष्टि हुई है। इसके अलावा 284 लोगों की कोरोना से मौत हुई है और 9 हजार 249 मरीज ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। अभी 1 लाख 22 हजार 801 एक्टिव केस हैं। इसमें से 1 हजार 525 एक्टिव केस ओमिक्रॉन के हैं। वहीं, दिल्ली में शनिवार को 2716 नए कोरोना के मामलों की पुष्टि हुई थी। जबकि दिनभर में 74 हजार 662 टेस्ट किए गए थे। दिल्ली में एक मरीज की कोरोना से मौत हुई थी।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। साथ ही उन्होंने कोरोना के बढ़ते खतरे की चेतावनी भी दी। साथ ही केजरीवाल ने कहा कि लोगों को बढ़ते मामले से घबरामने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'दिल्ली में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है। अभी, दिल्ली में 6 हजार 360 एक्टिव केस हैं। आज 3,100 नए केस सामने आ सकते हैं। अभी तक दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ 82 ऑक्सीजन बेड्स भरे हुए हैं।'
सीएम केजरीवाल ने कहा, 'दिल्ली के पास 37 हजार बेड्स हैं। अभी तक जो भी केस सामने आ रहे हैं उनमें बहुत कम लक्षण हैं या बिल्कुल भी लक्षण नहीं है। 27 मार्च 2021 तक दिल्ली में कोरोना के 6 हजार 600 एक्टिव केस थे और 145 मरीज वेंटिलेटर पर थे। जबकि अभी मामले तेजी से बढ़ने के बाद भी केवल 5 मरीज ही वेंटिलेटर पर हैं।'
दिल्ली में कितने बेड्स हैं खाली-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'अंडर ट्रीटमेंट मामलों की संख्या 29 दिसंबर, 2021 को करीब 2,000 रहने के बाद एक जनवरी को करीब 6,000 हो गई, लेकिन अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या इस दौरान घटी। 29 दिसंबर, 2021 को 262 बिस्तरों पर लोग भर्ती थे लेकिन एक जनवरी को यह संख्या महज 247 थी।'
उन्होंने कहा कि पिछले साल 27 मार्च को दिल्ली में 6,600 उपचाराधीन मामले थे और 1,150 ऑक्सीजन बिस्तर भरे हुए थे। दिल्ली में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'वर्तमान में, शहर में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 6,360 है और आज (रविवार) 3,100 नए मामले सामने आ सकते हैं। सभी मामले हल्के हैं और उनमें से ज्यादातर रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं है।'