दिल्ली: जेएनयू छात्र संघ और एबीवीपी के सदस्यों के बीच रविवार को तीखी झड़प हो गई, जिससे परिसर में तनाव जारी है और पुलिस दल मौजूद है। जेएनयू एबीवीपी सचिव का कहना है कि शिवाजी जयंती के अवसर पर हमने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर उनकी एक तस्वीर को छात्र गतिविधि केंद्र में रखा, लेकिन एसएफआई के छात्रों ने इसे कमरे के बाहर फेंक दिया, जबकि माला कूड़ेदान में फेंक दी गई। ABVP का आरोप है कि लेफ्ट के कार्यकर्ताओं ने शिवाजी महाराज की तस्वीर को नीचे फेंका है, वहीं लेफ्ट दावा कर रहा है कि ABVP के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की है। हंगामे के बीच दिल्ली पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स भी जेएनयू पहुचे, जेएनयू के अंदर और बाहर दिल्ली पुलिस को तैनात किया गया है।
जेएनयू एनएसयूआई के महासचिव ने कहा कि ABVP के सदस्यों ने JNUSU कार्यालय में शिवाजी का चित्र रखा, जिसके लिए JNUSU प्रतिनिधिमंडल से अनुमति की आवश्यकता थी। इसके बावजूद उन्होंने इसे अवैध तरीके से किया। अन्य छात्र वहां आए और स्क्रीनिंग कार्यक्रम के लिए सभी पोर्ट्रेट को हटा दिया, जिसके कारण दोनों समूहों के बीच लड़ाई छिड़ गई। एबीवीपी ने वाम समर्थित छात्र संगठनों पर छत्रपति शिवाजी महाराज का "अपमान" करने का आरोप लगाया। ABVP के छात्रों ने देर रात जेएनयू मेन गेट पर प्रोटेस्ट भी किया। छात्रों का आरोप है कि बाहर से आये लोग जेएनयू में हंगामा करते है। इस घटना में भी बड़ी संख्या में बाहर से छात्र आए हैं।
ये था मामला
बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत को लेकर रविवार को कैंडल मार्च निकाला था। दर्शन सोलंकी (18) की कथित तौर पर आईआईटी के पवई परिसर में एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से कूदने के बाद मौत हो गई थी। सोलंकी के परिवार ने दावा किया कि उन्हें अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित होने के कारण आईआईटी बॉम्बे में भेदभाव का सामना करना पड़ा और उनकी मौत में साजिश का संदेह था।
जेएनयूएसयू ने एक बयान में कहा, "एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है... यह दर्शन सोलंकी के पिता के आह्वान पर कैंडललाइट मार्च के तुरंत बाद किया गया था... एबीवीपी ने एक बार फिर जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन से छात्रों को पटरी से उतारने के लिए ऐसा किया है।"
इस बीच, ABVP ने आरोप से इनकार किया और "वाम समूह" पर छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर से एक माला निकालकर फेंकने का आरोप लगाया। छात्र संगठन ने कहा कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर एक समारोह आयोजित किया। कार्यक्रम के तुरंत बाद, वामपंथी छात्र वहां आए और तस्वीर से माला हटाकर फेंक दी।"
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