China News: चीन ने एकबार फिर नापाक हरकत की है। वह आतंकी मसूद अजहर के भाई के खिलाफ यूएन में लाए गए प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया। अमेरिका और भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक कुख्यात आतंकवादी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, जिसमें चीन ने बुधवार को अड़ंगा लगा दिया। राजनयिकों ने बताया कि भारत और अमेरिका चाहते थे कि आतंकवादी अब्दुल रऊफ अजहर पर वैश्विक प्रतिबंध लगे और उसकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया जाए।
इस पर चीन ने नापाक हरकत करते हुए इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया। दरअसल, इस तरह के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के सभी 15 सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। लेकिन चीन ने अड़ंगा लगाकर पाकिस्तान को आतंकवादी को बचा लिया।
यूएस ट्रेजरी ने 2010 में अजहर को नामित किया था
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीनी मिशन के प्रवक्ता ने बताया कि 'हमने प्रस्ताव को इसलिए रोक दिया क्योंकि हमें केस को स्टडी करने के लिए और समय चाहिए। समिति की गाइडलाइंस में प्रस्ताव को रोकने का प्रावधान है और इस तरह के कई लिस्टिंग प्रस्ताव समिति के सदस्यों की तरफ से रोके गए हैं।' यूएस ट्रेजरी ने 2010 में अजहर को नामित किया था और उस पर पाकिस्तानियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने और भारत में आत्मघाती हमले प्लान करने का आरोप लगाया गया था।
इस साल दूसरी बार दिया आतंकी का साथ
इस मामले में यूएन में अमेरिकी मिशन के स्पोक पर्सन ने कहा कि यूएस दूसरे देशों के वोट का सम्मान करता है। अमेरिका अपने सुरक्षा परिषदों के भागीदारों के साथ सहयोग को अहमियत देता है। जिससे कि आतंकियों को दहशतगर्दी करने रोका जा सके।जैश कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर का छोटा भाई है और 1994 में आईसी 814 विमान हाईजैक में शामिल था। चीन ने ऐसी हरकत पहली बार नहीं की है। ड्रेगन ने दूसरी बार यूएन में पाक आतंकी की लिस्टिंग पर रोक लगाई है। इससे पहले उसने लश्कर-ए-तैयबा के अब्दुल रहमान मक्की की लिस्टिंग पर रोक लगाई थी।
अफ्रीका बनता जा रहा है आईएसआईएस का गढ़
उधर, अफ्रीका में आईएसआईएस का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस बारे में अफ्रीका के सुरक्षा एक्सपर्ट मार्टिन एवी ने कहा कि अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन का खतरा हर नए दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। सुरक्षा परिषद को आगाह किया गया कि अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट की बढ़ती गतिविधि के बीच यह महाद्वीप 'खिलाफत का भविष्य' हो सकता है। इस महाद्वीप के करीब 20 देश आईएसआईएस की गतिविधियों को सीधे तौर पर महसूस कर रहे हैं।