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न्याय बिकाऊ है क्या? दिल्ली हाईकोर्ट का रेप केस की FIR रद्द करने से इनकार, पैसे लेकर हुआ था समझौता

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यदि महिला ने झूठे आरोप लगाए हैं और झूठी एफआईआर दर्ज कराई है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर को रद्द करने की कोई वजह नहीं है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: July 02, 2024 23:23 IST
delhi high court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन हिंसा के आरोपों से जुड़े आपराधिक मामलों को पैसों के भुगतान के आधार पर हुए समझौतों के कारण रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने का मतलब होगा कि “न्याय बिकाऊ है।’’ हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही यौन हिंसा के मामले में पक्षकारों के बीच समझौता हो गया हो, लेकिन वे अपने अधिकार के तौर पर FIR रद्द करने की मांग नहीं कर सकते। कोर्ट ने यह टिप्पणी रेप के एक आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए की।

क्या है मामले की पृष्ठभूमि?

याचिका में एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया गया था कि मामले को पक्षकारों द्वारा सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया है और वह (महिला) 1.5 लाख रुपये का भुगतान किये जाने पर समझौता करने के लिए सहमत हो गई हैं।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना ​​है कि यौन हिंसा के आरोपों से जुड़े आपराधिक मामलों को पैसों के भुगतान के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने का मतलब होगा कि न्याय बिकाऊ है।’’ कोर्ट ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि उसने इस तथ्य पर विचार किया है कि एफआईआर से ही व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ गंभीर आरोपों का पता चलता है, जिसमें शिकायत दर्ज करने से रोकने के लिए अभियोजक (महिला) को लगातार धमकियां देना भी शामिल है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने शुरू में व्यक्ति से 12 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन बाद में 1.5 लाख रुपये की राशि पर समझौता हो गया।

आरोपी के प्रति गुस्से के कारण दर्ज कराई थी शिकायत?

महिला तलाकशुदा है और उसका एक बच्चा भी है। महिला ने FIR में आरोप लगाया कि आरोपी ने खुद को तलाकशुदा बताया था और शादी का झूठा झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए और यौन हिंसा की। एफआईआर में आरोपियों द्वारा अनुचित वीडियो और फोटो शूट करने, उसे और उसके बेटे को जान से मारने की धमकी देने तथा बार-बार गलत बयान देने का भी आरोप लगाया गया है। अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यदि इस आधार पर एफआईआर रद्द कर दी जाती है कि पीड़िता ने आरोपी के प्रति गुस्से के कारण शिकायत दर्ज कराई थी, तो यह न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाना और आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग होगा।

'झूठी FIR दर्ज कराई, तो परिणाम भुगतने होंगे'

हाईकोर्ट ने कहा कि यदि महिला ने झूठे आरोप लगाए हैं और झूठी एफआईआर दर्ज कराई है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर को रद्द करने की कोई वजह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की आवश्यकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपी ने अपराध किया है या शिकायतकर्ता ने झूठी शिकायत दर्ज कराई है और अब वह 1.5 लाख रुपये लेकर मामले का निपटारा करना चाहती है।

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