नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है और विभिन्न सियासी दलों ने खुद को चुनावों में झोंक दिया है। लगातार 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में रही कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में अपना खाता भी खोल नहीं सकी है। हालांकि कांग्रेस नेता 5 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए अपनी जमीन को मजबूती देने में जुटे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दिल्ली में कांग्रेस किन मामलों में मजबूत है, पार्टी की कमजोरी क्या है और इस पर कौन सा बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
दिल्ली में कांग्रेस कहां पर है मजबूत?
बता दें कि चुनाव के बाद 2100 रुपये की मासिक सहायता के प्रावधान वाली आम आदमी पार्टी की ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के मुकाबले कांग्रेस ने ‘प्यारी दीदी योजना’ की घोषणा की है। उसने वादा किया है कि सत्ता में आने पर महिलाओं को 2500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी प्रदेश इकाई के कई कद्दावर नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख देवेंद्र यादव, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा और दिल्ली के पूर्व मंत्री हारून यूसुफ जैसे कई बड़े चेहरे चुनावी मैदान में हैं। माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ी तो इस बार अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकती है।
कांग्रेस कहां पर पड़ रही है कमजोर?
बता दें कि कांग्रेस वर्ष 2013 से दिल्ली में सत्ता में नहीं है, जिससे मतदाताओं का विश्वास दोबारा हासिल करना उसके लिए काफी चैलेंजिंग साबित होने वाला है। वर्ष 2013 में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके बाद से पार्टी एक ऐसे नेता की तलाश करने में नाकाम रही है जिसके चेहरे पर वह पूरे विश्वास से दांव लगा सके। लगातार दो चुनाव हारने के बाद पार्टी के निचले कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी हो सकती है, जो उसके चुनावी कैंपेन पर विपरीत असर डाल सकता है। इसके अलावा पार्टी के सामने विधानसभा चुनावों में लगातार गिर रहे वोट प्रतिशत को न सिर्फ रोकने बल्कि उसको बढ़ाने की भी चुनौती है।
पार्टी के पास एक शानदार मौका भी है
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए एक बहुत अच्छा मौका भी है। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा अवसर यह है कि पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि पिछले 2 कार्यकाल से दिल्ली विधानसभा में उसका एक भी विधायक नहीं है। कांग्रेस के पास इस विधानसभा चुनाव में अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से हासिल करने का शानदार मौका है जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा पिछले कुछ सालों में AAP को ट्रांसफर हो गया है। अगर उसे कुछ सीटें भी मिलती हैं तो इससे पार्टी और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा के हालात बनते हैं तो कांग्रेस कुछ सीटें जीतने पर ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकती है।
पार्टी पर मंडरा रहा है ये बड़ा खतरा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस के सिर पर एक बहुत बड़ा खतरा भी मंडरा रहा है। अगर कांग्रेस इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहती है तो उसे दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य से सफाए की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी पहले ही देश के कई अहम राज्यों में इस तरह की स्थिति का सामना कर रही है। दिल्ली में AAP और बीजेपी की मजबूत उपस्थिति कांग्रेस की सत्ता हासिल करने की संभावनाओं के लिए एक बड़ा खतरा है। ऐसे में कांग्रेस को दिल्ली की सियासत में अपना असर बनाए रखने के लिए इस बार अच्छा प्रदर्शन करना होगा। (भाषा)