नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी सिंह के अनशन का आज दूसरा दिन है। दिल्ली जल संकट को लेकर वह कल से अनशन पर बैठी हैं। इस बीच उन्होंने एक वीडियो मैसेज जारी किया और कहा कि जब तक हरियाणा सरकार दिल्ली को पानी नहीं देती है तबतक उनका अनशन जारी रहेगा।
आतिशी ने कहा, 'जैसा कि आप जानते हैं आज मेरे अनशन का दूसरा दिन है। दिल्ली में पानी का गंभीर संकट है। इस भीषण गर्मी में जब ज़्यादा पानी की ज़रूरत थी, तब शहर में पानी की किल्लत हो गई है। दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पानी मिलता है। पिछले कई दिनों से हरियाणा दिल्ली के लिए कम पानी छोड़ रहा है। मैंने हर संभव रास्ता अपना कर देख लिया लेकिन जब किसी भी रास्ते से हरियाणा सरकार पानी देने को तैयार नहीं हुई तो मेरे पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
आतिशी ने कहा कि आज भी पानी की कमी बनी हुई है। कल पूरे दिन भर में 110 MGD पानी कम आया है। जब तक हरियाणा सरकार दिल्ली को पानी नहीं देती, मैं अपना अनशन जारी रखूंगी। जब तक दिल्ली के 28 लाख लोगों को पानी नहीं मिल जाता, मैं कुछ नहीं खाऊंगी।'
513 एमजीडी पानी दे रहा हरियाणा
उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों से नदियों और नहरों के जरिए उसे 1,005 एमजीडी पानी मिलता है जिसमें से हरियाणा 613 एमजीडी पानी मुहैया कराता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जारी भीषण गर्मी के बीच हरियाणा कुछ सप्ताह से 513 एमजीडी पानी ही दे रहा है।
आतिशी की तपस्या सफल होगी-केजरीवाल
आतिशी ने हरियाणा से दिल्ली के लिए यमुना का अधिक पानी छोड़ने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन कल से शुरू किया है। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से एक संदेश में उम्मीद जताई है कि उनकी ‘तपस्या’ सफल होगी। अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने उम्मीद जताई कि आतिशी की 'तपस्या' सफल होगी।
क्या यह पानी पर राजनीति करने का समय है?
केजरीवाल ने जेल से भेजे गए अपने संदेश में कहा, ''प्यासे को पानी पिलाना हमारी संस्कृति है। दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पानी मिलता है। हमें ऐसी भीषण गर्मी में पड़ोसी राज्यों से मदद की उम्मीद थी। लेकिन, हरियाणा ने दिल्ली के पानी का हिस्सा ही कम कर दिया।'' मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा, ''दोनों राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, लेकिन क्या यह पानी पर राजनीति करने का समय है?''