नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या 1 लाख के पार पहुंच चुकी है लेकिन राहत की बात यह है कि बढ़ते मामलों के बीच 82 हजार से अधिक मरीज ठीक भी हो चुके हैं। ऐसे में दिल्ली में अब तक 76 फीसद से अधिक मरीज स्वस्थ होकर अपने घर चले गए हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस का पहला मरीज सामने आने से पहले ही केजरीवाल सरकार ने इसके खिलाफ तैयारी तेज कर दी थी। इसी का नतीजा है कि दिल्ली में मरीज तो बढ़े, लेकिन ठीक होने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ। आज स्थिति यह है कि दिल्ली में फिलहाल 25 हजार के आसपास मरीज ही उपचाराधीन हैं, जबकि कुल मरीजों की संख्या 1 लाख के पार है। दिल्ली में कोरोना वायरस को काबू में करने के लिए केजरीवाल सरकार के ये 8 अहम उपाय काफी मददगार साबित हुए।
1. कोरोना के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण
दिल्ली में बड़ी संख्या में हवाई सफर कर विदेश से लोग आए। कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला मार्च के पहले सप्ताह में आया था, जो विदेश होकर लौटा था। इतना ही नहीं, दिल्ली में पहली मौत जिस महिला की हुई उसका बेटा भी विदेश दौरे से लौटा था। ऐसे में योजनाबद्ध तरीके से दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों पर नियंत्रण के लिए रणनीति बनाई गई, जिसमें टेस्टिंग पर ज्यादा जोर दिया गया। इसी के साथ आक्रामक तरीके से टेस्टिंग के साथ होम आइसोलेशन पर काम शुरू हुआ। इसके तहत कोरोना मरीजों और उनके संपर्क में आने वालों को अलग कर आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन की रणनीति पर काम किया गया, ताकि वायरस के फैलने पर लगाम लगाई जा सके। वहीं, इसके उलट दिल्ली में लोग अपने संक्रमण को छिपाते नजर आए। लोगों के जेहन में यह बात घर कर गई कि कोरोना का मरीज घोषित होते ही समाज में उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाएगा। दिल्ली में ऐसे कुछ मामले भी सामने आए, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने का आरोप लगातार उनके साथ मारपीट तक की गई। इस वजह से दिल्ली सरकार ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया, जिसमें होम आइसोलेशन को बढ़ाना देना भी शामिल था।
2. होम आइसोलेशन पर दिया गया जोर
कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते दिल्ली सरकार ने अपनी रणनीति में अहम बदलाव करते हुए होम आइसोलेशन को बढ़ावा देना शुरू किया। ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन की इजाजत दी गई, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण तो थे, लेकिन वह गंभीर मरीज नहीं थे। दिल्ली में कोरोना के 80 फीसद मरीज कम लक्षण वाले हैं। ऐसे मरीजों के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया, जो घर जाकर होम आइसोलेशन की बारीकियों के बारे में समुचित जानकारी देती है। ऐसे मरीजों की रोजाना मॉनिटरिंग करने के साथ उनकी देखभाल के तमाम उपाय भी बताए गए। फोन के जरिये डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी संपर्क में रहते हैं। इसका लाभ यह हुआ कि कोरोना के मरीजों ने घर पर अपनों के बीच रहकर बेहतर महसूस किया और ठीक हुए। इसी के साथ उसके परिवार के सदस्यों को भी उसी घर में 2 सप्ताह के लिए होम क्वारंटाइन किया गया, जिससे यह बीमारी अन्य लोगों में नहीं फैले। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह रही है कि इसी के साथ दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के लिए होम आइसोलेशन की व्यवस्था के बारे में प्रचार-प्रसार भी किया। यह प्रयास रंग भी लाया और लोगों में यह विश्वास भी जगा कि वे बिना अस्पतालों के चक्कर लाए भी ठीक हो सकते हैं। इसका लाभ यह हुआ कि लोगों ने महसूस किया कि होम आइसोलेशन के जरिये भी ठीक हो सकते हैं और लोगों में इस विश्वास ने किसी जादू की तरह काम किया।
3. आक्रामक टेस्टिंग और आइसोलेशन
दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने में सबसे ज्यादा मददगार साबित हुआ लोगों की टेस्टिंग करना। सबसे अच्छी बात यह रही कि दिल्ली में कोरोना के मामले सामने आने के साथ ही राज्य में टेस्टिंग की संख्या में इजाफा कर दिया गया था। देश के अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली में मई महीने में 10 लाख लोगों पर 10,500 टेस्टिंग की गई। यह सिलसिला जून के अंत तक जारी रहा। इससे लोगों में कोरोना वायरस के प्रति भय धीरे-धीरे कम हुआ। यह सब तेज गति से हुई टेस्टिंग के जरिये संभव हुआ। जून के पहले हफ्ते से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में रणनीति में बदलाव करते हुए आक्रामक टेस्टिंग की शुरुआत की गई। इसके लिए दिल्ली के उन इलाकों को चुना गया, जो हॉटस्पॉट थे।
जून के पहले सप्ताह में दिल्ली सरकार ने 5,500 टेस्ट रोजाना करना शुरू कर दिया। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली सरकार को मदद भी मिली। इसके तहत जून के मध्य में केंद्र सरकार की ओर से एंटीजेन टेस्ट किट भी मुहैया कराई गई, जिसमें 30 मिनट से भी कम समय में पता चल जाता है कि कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव है या फिर नेगेटिव। धीरे-धीरे टेस्टिंग में इजाफा हुआ और जुलाई के पहले सप्ताह में रोजाना 21,000 टेस्टिंग की गई। ऐसे में जैसे-जैसे टेस्टिंग बढ़ी तो कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ। इसका लाभ यह हुआ कि कोरोना के मरीजों की तेजी से पहचान हुई और उनका इलाज शुरू किया गया। एक हजार मरीजों और उनके परिवार को रोजाना आइसोलेट किया गया। एक पखवाड़े के दौरान इस रणनीति का सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। इसके तहत 16 जून से 23 जून के बीच लगातार कोरोना के मामलों में गिरावट देखी गई।
4. बेड की संख्या में इजाफा
कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने बेड की संख्या में इजाफा करने पर जोर देना शुरू किया। ऐसे में जहां जून तक सिर्फ 8 प्राइवेट अस्पताल 700 बेड के साथ कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे थे वहीं, इसमें इजाफा किया गया। वहीं, इससे पहले प्राइवेट अस्पतालों में बेड में कमी की बात सामने आई थी।बावजूद इसके कि 1000 से ज्यादा बेड सरकारी अस्पतालों में खाली रहे। इसके बाद प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड की संख्या में इजाफा हुआ। इसके लिए दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने एक आदेश भी पारित किया। इसके तहत जिस प्राइवेट अस्पताल में 50 बेड हैं तो 40 फीसद कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करने होंगे। इसके बाद प्राइवेट अस्पतालों में बेड की संख्या 700 से बढ़कर 5000 हो गई। इसके चलते समूची दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए बेड उपलब्ध होने लगे। बेड बढ़ाने की कड़ी में दिल्ली के कुछ होटलों को भी अस्पतालों से लिंक किया गया, जिससे उनके बेड का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के लिए किया जा सके। इसके बाद दिल्ली में बेड के संख्या 7000 तक पहुंच गई। फिलहाल दिल्ली में 15000 से ज्यादा बेड और इनमें लगातार इजाफा हो रहा है। इनमें सिर्फ 38 फीसद बेड की इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
5. कोरोना मरीजों की डॉक्टरों द्वारा दी जा रही काउंसलिंग
दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए लैब में भी इजाफा किया। इसके तहत 24-36 घंटे के भीतर मरीजों को कोरोना की रिपोर्ट मिलने लगी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों के जरिये काउंसलिंग की शुरुआत की। इसमें डॉक्टर पूरी तरह जांच के बाद यह तय करते थे कि क्यों मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है।
6. मरीजों को दिए ऑक्सोमीटर, घर बैठे कोरोना का इलाज
दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन वाले मरीजों को ऑक्सीजन पल्स मीटर उपलब्ध करवाए। इसमें मरीज हर दो घंटे में अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करता है। अगर लेवल कम होता दिखे तो तुरंत बताए गए नंबरों पर फोन करना है। इसी के साथ सरकार ने घर पर ही ऑक्सीजन का प्रबंध किया और जरूरत होने पर हॉस्पिटल शिफ्ट करने का भी इंतजाम किया। यह ऑक्सीजन पल्स मीटर ठीक होने पर मरीजों ने सरकार को वापस लौटाए, यह सिलसिला दिल्ली में अब भी जारी है। ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए दिल्ली के प्रत्येक जिला स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए व्यवस्था की गई है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने 59,600 ऑक्सीमीटर खरीदे हैं, जिनमें 58974 का इस्तेमाल रोजाना किया जा रहा है। इसके अलावा, सरकार ने 2,750 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स भी खरीद हैं। दिल्ली सरकार के प्रत्येक अस्पताल में हर बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है।
7. एंबुलेस का इंतजाम
दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामलों के मद्देनजर एंबुलेस के भी इंतजाम किए गए। मरोजों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आए, इसके लिए वार रूम भी बनाया गया। इसके मकसद मरीजों तक तत्काल एंबुलेस उपलब्ध कराना और उसे अस्पताल तक पहुंचाना है। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ 134 एंबुलेंस उपलब्ध थे। इनमें दिल्ली के 102 और केट्स के 602 वाहन शामिल हैं। इनमें 402 एंबुलेस कोविड मरीजों के साथ अन्य मरीजों के लिए उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त कैब की भी सुविधा है, जो फोन पर उपलब्थ है। यह ठीक हुए मरीजों को घर भी छोड़ती है।
8. प्लाज्मा थेरेपी से मरीजों का इलाज
राजधानी दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी से कुछ मरीज ठीक हुए हैं। इसे देखते हुए दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों प्लाज्मा बैंक (plasma bank in delhi) बनाया है। प्लाज्मा दान से जुड़ी जानकारियों को लेकर सरकार ने हेल्पलाइन की भी शुरुआत की है। अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, सरकार ने अब तक कोविड-19 के 29 मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया है और इसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। दिल्ली में सबसे पहले लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू किया गया था। इसके नतीजे उत्साहजनक रहे।