दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के समन्वयक अरविंद केजरीवाल रविवार (2 जून) को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर रहे हैं। वह आम आदमी पार्टी के मुख्यालय से तिहाड़ जेल के लिए निकल चुके हैं। तिहाड़ जेल के गेट नंबर एक पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इसी गेट से केजरीवाल अंदर जा सकते हैं। दिल्ली सरकार की शराब नीति के जरिए हुए कथित घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) जांच कर रही है। इसी मामले में अरविंद केजरीवाल आरोपी हैं। उन्हें पूछताछ के लिए ही न्यायिक हिरासत में रखा गया है। अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी गई थी। यह जमानत आज (2 जून को) खत्म हो गई। ऐसे में वह तिहाड़ जेल में सरेंडर कर रहे हैं।
तिहाड़ जेल में सरेंडर करने से पहले अरविंद केजरीवाल पत्नी सुनीता और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं के साथ राजघाट पहुंचे। यहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर जाकर प्रार्थना भी की। इसके बाद पह पार्टी मुख्यालय पहुंचे। आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में सभी नेताओं ने अपनी बात रखी। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी खुद स्वीकर कर चुके हैं कि उनके पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसके बावजूद उनके इशारे पर एजेंसी काम कर रही हैं। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत और आम आदमी पार्टी के अन्य नेता केजरीवाल के साथ मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10 मई के दिन लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दी थी। यह जमानत 2 जून तक थी।
क्या है दिल्ली शराब घोटाला
दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति बनाई थी, जिसके तहत प्राइवेट दुकानों के लाइसेंस बांटे गए थे। आरोप है कि शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए इस नीति में बदलाव किए गए। इसके बदले में आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये मिले। इस मामले में ईडी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को गिरफ्तार कर चुकी है। के कविता को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। अरविंद केजरीवाल 16वें व्यक्ति थे, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया। ईडी ने इस घोटाले में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाया है। हालांकि, आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अगर घोटाला हुआ है तो पैसा कहां है। 500 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी के बावजूद पैसा क्यों नहीं मिल रहा है। जेल में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए अरविंद केजरीवाल की काफी आलोचना भी हुई है।