नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार की घर तक राशन पहुंचाने की योजना का कोई नाम नहीं होगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने एक दिन पहले ही ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ पर विराम लगा दिया था, जो 25 मार्च से शुरू होने वाली थी। केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम केंद्र की सभी शर्तों को स्वीकार करेंगे, लेकिन योजना में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देंगे।’’
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से कहा कि ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ को लागू नहीं करें और कहा कि किसी राज्य को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत आवंटित खाद्यान्न के इस्तेमाल की ‘‘अनुमति नहीं’’ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की तरफ से शुक्रवार की दोपहर को मिले पत्र में सूचित किया गया कि घर तक राशन पहुंचाने की योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना’ नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: उन्हें मुख्यमंत्री शब्द पर आपत्ति है। हम श्रेय लेने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब योजना का कोई नाम नहीं होगा। सोमवार को कैबिनेट की बैठक होगी और इसके प्रस्ताव केंद्र के पास भेजे जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम 20-22 वर्षों से इस योजना के सपने देख रहे हैं और पिछले दो-तीन वर्षों से व्यक्तिगत तौर पर मैं इसकी तैयारी कर रहा था।"
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "लेकिन, केंद्र की तरफ से आपत्ति करने के बाद हमारा दिल डूब गया। अब हम इसके रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देंगे और उनकी सभी शर्तों को मानेंगे।’’
क्या थी मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना?
केजरीवाल सरकार की राशन डोरस्टेप डिलीवरी योजना के तहत लोगों को उन्हें घर पर ही सूखा राशन मिलता। मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के तहत गेहूं के बदले आटा एवं चावल का पैकेट देने की योजना थी।
दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया गया था कि डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ राशन (Door step delivery of ration) शुरू होने के बाद लोगों को राशन की दुकान पर आने की जरूरत नहीं पड़ती।